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नवम नवरात्र की देवी - मां सिद्धिदात्री जी

Blog, 16/04/2024

महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं माता का जब पर्व आता है, ढेरों खुशियां अपने साथ लाता है। इस बार मां आपको वो सब कुछ दे, जो कुछ आपका दिल चाहता है।

 

पूरे देशभर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस नवरात्रि के महापर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। लोग इन शुभ दिनों में माता रानी से प्रार्थना करते हैं और उपवास रखते हैं। माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो यही "पारस परिवार" की माता रानी से कामना है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि की यह पर्व माँ की आराधना का दिव्य पर्व है, माँ के नौ रूपों का यह पर्व भक्ति का दिया दिल में जलाने का पवित्र पर्व है। साथ ही उन्होंने कहा कि नवरात्रि यानि ‘नौ अनमोल रातें’, ये वो रातें हैं जिनमें आप माता रानी से जो भी मांगते हैं वह जरूर पूरा होता है। मां सबका उद्धार करती है और मां सबके कष्टों को हरने वाली है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों का जश्न मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी कहा जाता है। महानवमी के दिन 17 अप्रैल 2024 को मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जायेगी। माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। तो आज मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और महत्व के बारे में जानते हैं।

 

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि

सुबह स्नान के बाद मां सिद्धिदात्री की मूर्ति को स्थापित करके माँ को गंगाजल से स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद सिंदूर, अक्षत्, हल्दी, माला, फूल, फल, मिठाई आदि माँ को चढ़ाएं। शुभ फल के लिए आप ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः मंत्र का जाप करें। फिर मां सिद्धिदात्री की आरती करें। मां का ध्यान करके दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पूजा करते समय इस खास मंत्र "ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः" का उच्चारण जरूर करें और कमल का फूल अर्पित करें। कुछ लोग इस दिन कन्याओं को अपने घर पर बुलाकर कंजक या कन्या पूजन करते हैं। कन्या भोजन के लिए बनाए हुए प्रसाद हलवा, चना, पूड़ी का प्रसाद माँ को चढ़ायें।

अब 9 कन्याओं का पूजन करें, उन्हें टीका लगाएं और साथ ही लाल चुनरी भी दें। कन्याओं को भेंट स्वरूप दक्षिणा और कुछ उपहार दें और फिर उनसे आशीर्वाद लेकर श्रद्धापूर्वक विदा करें। कन्या पूजा के बाद आप प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण करें। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्हें रोग, शोक और भय से मुक्ति मिलती है। नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ हवन करने की परंपरा भी है। मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां रूप हैं और उनके नाम का अर्थ है शक्ति देने वाली। ऐसा माना जाता है कि कि माँ अपने भक्तों की अज्ञानता को दूर करके ज्ञान प्रदान करती हैं। क्योंकि इन कन्याओं को मां दुर्गा का दिव्य रूप माना जाता है, उन्हें टीका लगाएं, उनके पैर धोयें, लाल चुनरी दें और उनकी कलाई पर पवित्र धागा बांधकर काले चने, पूड़ी और हलवा का नवमी प्रसाद देकर उनकी पूजा करें।  साथ ही मां सिद्धिदात्री की पूजा में गुलाबी रंग बहुत शुभ माना गया है। गुलाबी रंग प्रेम और नारीत्व का प्रतीक है।

महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि मां दुर्गा की नौवी शक्ति देवी सिद्धिदात्री जी की आराधना करने पर बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। माँ सिद्धिदात्री की उपासना करने से भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।

 

कौन हैं मां सिद्धिदात्री ?

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने 8 सिद्धियों की प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा की। यानि भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही 8 सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुई ठीक उसी तरह इनकी पूजा करने से अष्ट सिद्धि, नव निधि और बुद्धि की प्राप्ति होती है। गंधर्व, किन्नर, नाग, यक्ष, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। वे अपने चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा ओर कमल पुष्प धारण करती हैं। इस तरह इनके एक दाहिने हाथ में गदा, दूसरे दाहिने हाथ में चक्र, बायें हाथ में कमल का फूल और दूसरे बायें हाथ में शंख है। इस दिन कमल के फूल पर बैठी हुई देवी का ध्यान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। 

नवरात्रि के आखिरी दिन दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने वालों को समस्त सिद्धियों का ज्ञान प्राप्त होता है। मान्यता है मां सिद्धिदात्री की पूजा करने पर परिवार में सुख-शांति आती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। माता सिद्धिदात्री को पूड़ी, हलवा, चना, खीर और नारियल प्रिय है। इसलिए इन चीजों का भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती हैं। मां सिद्धिदात्री को मां दुर्गा का प्रचंड रूप माना जाता है। कहते हैं जिसकी पूजा से मां प्रसन्न हो जाती है उन व्यक्तियों के शत्रु उनके आस पास भी नहीं टिक पाते हैं। मां सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं और उन्हें दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। देवी के इस रूप को देवी का पूर्ण स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि केवल इस दिन मां की उपासना करने से सम्पूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिल सकता है। 

 

मां सिद्धिदात्री के मंत्र

  • ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
  • या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
  • सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:।

 

मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के फायदे

  1. मां सिद्धिदात्री की आराधना करने से व्यक्ति को 8 सिद्धियां और 9 प्रकार की निधियां मिलती हैं।
  2. कहते हैं मां सिद्धिदात्री का नाम लेने से किसी भी व्यक्ति के साथ कभी कोई अनहोनी नहीं होती है।
  3. मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना से व्यक्ति जीवन के जन्म मरण चक्र से मुक्त हो जाता है।
  4. मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  5. मां सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से दुःख, रोग, दोष आदि दूर हो जाते हैं।
  6. मां सिद्धिदात्री की पूजा से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।
  7. शत्रु परेशान कर रहे हों तो माँ के इस स्वरूप की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
  8. माता सिद्धिदात्री की पूजा से सभी कष्ट मिट जाते हैं।


 

महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि माँ तेरे चरणों में यह सारा जीवन बीते, एक बस यही आशीर्वाद देना हम सबको।

नवरात्रि की शुभकामनाएं …माँ सिद्धिदात्री की कृपा आप सबके ऊपर हमेशा बनी रहे।

 

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