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आमलकी एकादशी - आंवले के पेड़ की पूजा का है विशेष महत्व

Blog, 20/03/2024

हिंदू धर्म में आमलकी एकादशी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी को समर्पित है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार यदि आप इस दिन सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं तो ऐसा करने से जीवन की सभी मुश्किलों का अंत होता है। आइये जानते हैं आमलकी एकादशी का महत्व और इसकी पूजा विधि ?

 

कब है आमलकी एकादशी ?

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस माह यह व्रत 20 मार्च को रखा जाएगा। आमलकी या रंगभरी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है। इस दिन विशेष पूजा और व्रत कर भगवान विष्णु की भक्ति की जाती है। यह एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए किया जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि आमलकी एकादशी का महत्व अक्षय नवमी के समान है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने कहा है- कि जो प्राणी मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनके लिए आमलकी एकादशी का व्रत सभी व्रतों में अत्यंत श्रेष्ठ है। 

 

आमलकी एकादशी का महत्व

पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि आमलकी एकादशी का व्रत करने से आप पुण्य के भागी बनते हो। इसके अलावा इस शुभ दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव, माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार अपनी प्रिय काशी नगरी आए थे और वहां पर शिव भगवान शिव ने माँ पार्वती के साथ होली खेली थी 

आमलकी एकादशी  हिन्दू धर्म में एक प्रमुख त्यौहार है जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धा भाव के साथ भगवान विष्णु की भक्ति की जाती है। आमलकी एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति और पापों के प्रायश्चित्त के लिए किया जाता है। इस एकादशी के दिन भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और धर्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। यह व्रत भगवान विष्णु के आशीर्वाद से भक्तों को सतमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से व्यक्ति को शुद्धि, संतोष, और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इसके अलावा, इस एकादशी का पालन करके पुण्य की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, आमलकी एकादशी का उद्देश्य ध्यान, साधना और धर्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करना है। 

आमलकी एकादशी के दिन विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ओम दामोदराय नमः, ॐ पद्मनाभाय नमः मंत्र का जाप करें।

 

क्या है इस दिन आंवले के पूजन का महत्व ?

पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ-साथ आंवले के वृक्ष की पूजा भी मुख्य मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सृष्टि के आरंभ में सबसे पहले आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी और भगवान विष्णु को आंवला का पेड़ अत्यंत प्रिय है। इस वृक्ष को सभी पापों को हरने वाला वृक्ष माना जाता है। डेरा नसीब दा के महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान हरि की पूजा से एक हजार गौ दान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को आंवले का फल चढ़ाया जाता है, जिसके चमत्कारी लाभ किसी से छुपे नहीं हैं।

 

आमलकी एकादशी के दिन आंवले के लाभ

आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पानी का घर में छिड़काव करना अच्छा माना जाता है। जाने माने ज्योतिष महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार इस दिन आंवले का उपयोग करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी की भी आप पर कृपा बनी रहती है। यदि घर में परेशानियां है तो घर की सुख-समृद्धि के लिए आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पानी से पूरे घर में छिड़काव करें। ऐसा करने से सुख-समृद्धि का वास होगा। इसके अलावा इस दिन आंवले से बनी मिठाई का भोग भगवान विष्णु को लगाएं। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।

 

आमलकी एकादशी के दिन करें ये कार्य

आमलकी एकादशी के दिन ये निम्न कार्य जरूर करें -

  • उपवास - इस दिन भगवान विष्णु की स्तुति करें। आमलकी एकादशी के दिन उपवास रखें। यानि खाने-पीने में संयम बनाए रखना जरुरी है।
  • पूजा स्थल की सजावट- इस दिन घर के मंदिर में सजावट करें।
  • पूजा सामग्री की तैयारी- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, धूप, अक्षत, नारियल, फल, पान, इत्यादि रखें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और फल, तुलसी, पुष्प, दीप, नैवेद्य, और अर्चना के माध्यम से अर्घ्य अर्पित करें।
  • पूजा की शुरुआत- पूजा की शुरुआत मंत्रों और देवी-देवताओं की प्रार्थना के साथ करें। इस शुभ दिन पर भगवान की आराधना करें।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ-इस दिन विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  •  ध्यान- देवी-देवताओं का ध्यान करें और उनको मन में स्थापित करें।
  • भगवान का गुणगान-आरती गाकर और भजन गाकर भगवान का गुणगान करें।
  •  कथा सुनना-आमलकी एकादशी के महत्व को समझने के लिए कथा जरूर सुनें।
  • प्रसाद बाँटें-पूजा के बाद प्रसाद तैयार कर उसे भक्तों को बाँटें।
  • दान का महत्व-इस दिन दान का अत्यंत महत्व है, इसलिए इस दिन दान जरूर करें, साधु-संतों की सेवा करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

इस तरह आप आमलकी एकादशी की पूजा कर सकते हैं।

 

आमलकी एकादशी के दिन दान करना सबसे महत्वपूर्ण

आमलकी एकादशी के दिन दान करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ कुछ चीज़ें हैं जिन्हें आप दान के रूप में दे सकते हैं और ये दान करके आप इस  दिन धार्मिक और सामाजिक कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं। जैसे अनाज, धन, वस्त्र, आदि। 

  • अनाज दान: इस दिन अन्नदान करें जैसे जरूरतमंद और गरीबों को भोजन दान करें। यह गरीब लोगों के लिए आहार के रूप में मदद कर सकता है। इस दिन अनाज जैसे चावल, गेहूं, दालें आदि का दान करें। 
  • वस्त्र दान- वस्त्र दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है ऐसा करके इस दिन गरीबों की मदद करें।
  • धन दान- आर्थिक सहायता के रूप में किसी गरीब व्यक्ति को धन का दान करें।
  • आहार दान- भोजन का दान करें और भूखे लोगों की मदद करें।
  • विद्या दान- शिक्षा के लिए किसी गरीब या आवश्यक व्यक्ति को सहायता प्रदान करें।
  • जल दान- जल के निर्धारित स्थानों पर पानी की शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए जल दान करें।

 

जय श्री हरि !!! जय श्री हरि विष्णु जी !!! ॐ नमोः नारायणाय नमः !!!

“पारस परिवार” की ओर से आप सबको आमलकी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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