आषाढ़ पूर्णिमा व्रत हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हिंदू धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था और सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। यानि गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित है। इस दिन गुरुजनों की सेवा करनी चाहिए और साथ ही भेंट भी देनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं।