महंत श्री पारस भाई जी और पारस परिवार हमेशा से वैदिक
सनातन संस्कृति की परंपरा को निभाते आये है और संपूर्ण मानव जाती अपने वैदिक सभ्यता की ओर वापस
लौटे इसी के लिए पारस परिवार सतत कार्यरत है।
इस प्रकार पूरी श्रद्धा और भावना से इस पर्व को मनाए और अपने वैदिक संस्कृति का जतन करते हुए इस
परंपरा को आगे बढ़ाए।
सनातन धर्म : 'सनातन' का शाब्दिक अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', यानी जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि सनातन धर्म को दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है।
भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में सनातन धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। यह धर्म करीब 12 हजार साल पुराना और कुछ मान्यताओं के मुताबिक 90 हजार साल पुराना भी बताया जाता है। सनातन धर्म को मानने वालों को ही हिंदू कहा जाता है। सत्य को ही सनातन कहा गया है। सनातन वो है, जिसका न आदि है न अंत है।
अनादि काल से सनातन धर्म चला आ रहा है और अनंत काल तक रहेगा। सनातन अनंत है। इस धर्म का मूल सार पूजा, जप-तप, दान, सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और यम-नियम हैं। ईश्वर ही सत्य है, आत्मा ही सत्य है, मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म, सनातन धर्म भी सत्य है।
हिंदू धर्म या सनातन धर्म बहुत बड़ा धर्म है। भारत में त्यौहार हिंदू धर्म का एक अभिन्न अंग है। इसमें अनेकों त्यौहार हैं, जिनकी अत्यंत मान्यता है। हर कोई इनको एक उत्सव की तरह मनाता है। ये सभी त्यौहार, पर्व और मुख्य तिथियां हर हिंदू के जीवन में विश्वास और मूल्यों का जश्न है। जो हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक मंच के रूप में काम करते हैं।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हिंदू त्यौहार या हिंदू उत्सव, हिंदू समुदाय के बीच एकता और एकजुटता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिंदू त्योहार लोगों को एक साथ आने और उनके सामाजिक बंधन को मजबूत करने की अनुमति देते हैं। हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों, पर्व, उत्सव, व्रत और जो भी मुख्य तिथियां हैं उनकी लिस्ट नीचे दी गयी है।
सिख धर्म का भारतीय धर्मों में अपना एक पवित्र स्थान है। सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी पंजाब प्रांत में गुरुनानक देव जी ने की थी। ‘सिख’ शब्द की उत्पत्ति ‘शिष्य’ से हई है, जिसका अर्थ गुरुनानक के शिष्य से अर्थात् उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने वालों से है।
गुरुनानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु हैं। सिख धर्म में नानक जी के बाद नौ गुरु और हुए हैं। यह एक ईश्वर तथा गुरुद्वारों पर आधारित धर्म है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि सिख धर्म में गुरु की महिमा पूजनीय व दर्शनीय मानी गई है। सिखों के 9वें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी थे। गुरु गोबिन्द सिंह जी सिख धर्म के अंतिम गुरु माने जाते है। बाद में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने गुरु प्रथा समाप्त कर गुरु ग्रंथ साहिब को ही एकमात्र गुरु मान लिया।
सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है। सिख धर्म के अनुयायियों को सिख या पंजाबी कहा जाता है। सिख धर्म में भी त्यौहार, पर्व और उत्सवों का अपना एक अलग महत्व है। सभी त्यौहार या पर्व धर्म, मौसम और उत्सव से जुड़े हैं। जिसे पूरा सिख धर्म बड़ी ही श्रद्धा भाव के साथ मनाता है।
सिख धर्म में त्यौहारों का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू इतिहास में सिख त्यौहारों की महत्वपूर्ण घटनाओं का एक लेखा जोखा है। महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि सिख धर्म के त्यौहारों का सबसे खूबसूरत हिस्सा यह है कि ये सिख परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के साधन के रूप में काम करते हैं। ये त्यौहार सिख समुदाय को एक साथ लाते हैं।
आध्यात्मिक नवीनीकरण का अवसर प्रदान करते हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सिख धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद करते हैं। यहाँ सिख पर्वों व उत्सवों की सूची नीचे दी गयी है। आइए सिख धर्म के मुख्य त्यौहार कौन-कौन से हैं इस लिस्ट के द्वारा जानते हैं