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पौष अमावस्या

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पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पौष अमावस्या होती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व माना गया है। हर माह में एक अमावस्या तिथि पड़ती है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इसके अलावा इस दिन पितरों की शांति के लिए भी तर्पण किया जाता है। पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विधान है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि पौष अमावस्या के दिन स्नान के बाद दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
स्नान के बाद सूर्य देव को अर्ध्य दें और उसके बाद पितरों को जल से तर्पण दें और उनके लिए श्राद्ध आदि करें। पौराणिक मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितर अपने परिवारजनों से मिलने धरती पर आते हैं। इसलिए इस दिन पितरों को तर्पण, श्राद्ध, दान आदि करें। आप पितरों के लिए पिंडदान कर सकते हैं। यदि आप पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो पंचबलि कर्म करें जैसे ब्राह्मण को भोजन कराएं, साथ ही गाय, कौआ, पक्षी आदि को खाना दें। ​यदि आपके पितर नाराज हैं तो आपको पौष अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि जरूर करना चाहिए।
इस शुभ दिन पर धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य किए जाते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है उन लोगों के लिए पौष अमावस्या का दिन बहुत ही विशेष माना जाता है। पौष माह को सौभाग्य लक्ष्मी मास के रूप में भी जाना जाता है। इस शुभ दिन पर जरूरतमंदों या गरीबों को भोजन, वस्त्र और पैसों का दान किया जाता है।


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