षटतिला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों के व्रत में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु का पूजन तिल से करने का विधान है। षटतिला एकादशी के दिन तिल के उपयोग और दान का बहुत महत्व है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस दिन तिल का अधिक से अधिक उपयोग करने से पुण्य होता है। षटतिला एकादशी का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है।
इस दिन पूजन में तिल के 6 उपाय किए जाते हैं। इसलिए इस व्रत को षटतिला एकादशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि षटतिला एकादशी के दिन व्यक्ति जितने तिल का दान करता है, उतने हजार वर्ष तक बैकुंठलोक में सुख पूर्वक रहता है। षटतिला एकादशी के दिन पूजन में व्रत कथा का पाठ भी करना चाहिए। फिर पूजन के अंत में भगवान विष्णु की आरती कर पारण के समय तिल का दान अवश्य करें। इस तरह आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।