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फाल्गुन अमावस्या

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अमावस्या का दिन बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि यह चंद्रमा की पूजा के लिए समर्पित है। सनातन धर्म में अमावस्या का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन पूरी तरह से पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। माह में एक बार अमावस्या मनाई जाती है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि यह दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंड दान और ब्राह्मणों को भोजन आदि के लिए अच्छा माना जाता है। अमावस्या के दिन स्नान-दान करने से कई गुना अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और घर में खुशहाली बनी रहती है। अमावस्या तिथि पर भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना भी करते हैं।
फाल्गुन मास में पड़ने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। कई लोग अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध भी करते हैं। यानि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को जल चढ़ाने और भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा फाल्गुन अमावस्या के दिन गरीब अथवा जरूरतंदों को भोजन करवाना भी शुभ माना जाता है।