हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। महिलाएं यह व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं। यानि इस व्रत को कुंवारी कन्या और सुहागिन महिलाएं दोनों ही रखती हैं। साथ ही यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। हरतालिका तीज हरियाली और कजरी तीज के बाद मनाई जाती है। हरतालिका तीज का व्रत कठिन उपवासों में एक माना जाता है। क्योंकि यह व्रत पूरे 24 घंटे का निर्जला व्रत होता है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद अगले दिन चतुर्थी तिथि पर इसका पारण किया जाता है।