पौष पूर्णिमा हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होती है। इस दिन सत्यनारायण भगवान, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है। उनकी कृपा से जीवन में खुशहाली आती है, आपके जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि पौष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने का भी विधान है। ऐसा करने से पुण्य लाभ मिलता है। पौष पूर्णिमा के व्रत के लिए चंद्रोदय समय और स्नान-दान के लिए उदयातिथि का महत्व है। पुराणों के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा मोक्ष देती है। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से पूरे महीने की पूजा, पाठ, तप करने के समान फल प्राप्त होता है और मां लक्ष्मी साल भर आपके ऊपर मेहरबान रहती हैं। पौष पूर्णिमा पर घर में सत्यनारायण की कथा का भी विधान है।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि पौष का महीना सूर्य देव का महीना होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है, ऐसे में सूर्य और चंद्रमा का यह संगम इंसान की हर मनोकामना को पूरा करता है। यह व्रत आपके जीवन से दुखों को दूर करता है। ऐसी मान्यता है पूर्णिमा की रात को माँ लक्ष्मी साक्षात पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तजनों को सुख-समृद्धि और धन का आशीष देती हैं।