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संकष्टी चतुर्थी, कजरी तीज

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कजरी तीज व्रत को कजलिया तीज और सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज व्रत रखा जाता है, इसे कजलिया तीज और सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज रक्षा बंधन के तीन दिन बाद आती है। इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि इस व्रत में शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिन औरतें पति की दीर्धायु, संतान की खुशहाली और के लिए व्रत रखकर शिव -पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन रात में चांद की पूजा भी की जाती है और जल लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।


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