हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत प्रमुख स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। इसके अलावा जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। दरअसल इस व्रत में पानी पीना वर्जित है इसलिये इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।
इस व्रत में व्रती पानी का सेवन नहीं कर सकता है। व्रत का पारण करने के बाद ही व्रती जल का सेवन कर सकता है। निर्जला एकादशी को लेकर यह माना जाता है कि यदि आप पूरे साल एक भी एकादशी का व्रत नहीं करते हैं और निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं तो आपको संपूर्ण एकादशियों का फल मिलता है। इस व्रत को करने वाले लोगों को अन्न और जल का त्याग करके व्रत करना पड़ता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु आपसे प्रसन्न होते हैं।
यह व्रत मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। एकादशी का व्रत करके दान जरूर करना चाहिए। इस दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करने वालों को पूरे साल की एकादशियों का फल मिलता है।