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होलिका दहन

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हर वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर होली मनाई जाती है। इस दिन देशभर में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में होली का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं। रंगों का त्योहार भारत समेत विश्व के कई देशों में मनाया जाता है। दो दिनों के पर्व होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन होली मनाई जाती है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हर साल लोगों को होली का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि रंगो का ये उत्सव खुशियां लेकर आता है। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है और होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है।
होलिका दहन की कथा यह है कि जब प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यपु के आदेशों को मानने से इनकार कर दिया तब हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, क्योंकि होलिका को वरदान था कि अग्नि कभी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। लेकिन भगवान विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई। इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और हर साल फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है। इस अवसर पर लोग ईर्ष्या और द्वेष भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते हैं।


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