जब भी सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं तो इसे संक्रांति कहते हैं। सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं और इसलिए साल में कुल 12 संक्रातियां आती हैं। शास्त्रों में संक्रांति को एक पर्व की तरह माना गया है इसलिए संक्रांति पर सभी तीर्थों और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है।
इस दिन सूर्य, सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे कन्या संक्राति के नाम से जाना जाता है। संक्राति पर ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। कन्या संक्रांति पर पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण, पूजा-अनुष्ठान आदि करने से पितृदोष दूर होते हैं और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।