प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते हैं। प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। वैसे तो त्रयोदशी तिथि ही भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। परंतु प्रदोष के समय शिवजी की पूजा करना और भी लाभदायक है। प्रदोष व्रत का दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। हर माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं। प्रदोष व्रत करने से दरिद्रता और से मुक्ति मिलती है और सारे दोष एवं कष्ट मिट जाते हैं।
प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रखकर शिव की आराधना करेगा, उस पर अवश्य शिव की कृपा होगी। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्म के फेर से निकल कर मोक्ष को प्राप्त होता है।