नौ तरह के पत्तों को एकत्रित करके यह पूजा की जाती है। माता के नौ रूप हैं और नवरात्रि के 9 दिन होते हैं। इसलिए अलग-अलग पेड़ के पत्ते देवी के नौ रूप माने जाते हैं। शारदीय नवरात्रि में नवपत्रिका पूजा का खास महत्व है। यह पूजा विशेषकर असम, बंगाल और ओडिशा में होती है। नवपत्रिका पूजा को कलाबाऊ पूजा के नाम से भी जाना जाता है। ये नौ पत्तियां हैं, केला, काचवी, हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिल्व और जौ।
नौ पत्तियों को सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान कराया जाता है, जिसे महास्नान कहते हैं। इसके बाद नवपत्रिका को पूजा पंडाल में रखा जाता है। आज के दिन किसान भी नवपत्रिका की पूजा करते हैं। मान्यता है कि नवपत्रिका की पूजा से अच्छी फसल उगती है।