जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य जब मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस घटना को मिथुन संक्रांति कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं में मिथुन संक्रांति का विशेष महत्व होता है।
इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और कई प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं। कहते हैं कि जिस व्यक्ति पर सूर्य देव की कृपा बरसती है उन्हें अलग अलग क्षेत्रों में लगातार सफलता मिलती है। संक्रांति तिथि पर व्यक्ति स्नान कर दान करे तो इसका विशेष लाभ होता है। मिथुन संक्रांति के दिन महिलाएं सिलबट्टे की पूजा करती हैं।
इस दिन सूर्य देव की पूजा के साथ ही भूदेवी की पूजा सिलबट्टे के रूप में की जाती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन में समृद्धि आती है। इस दिन सिलबट्टे को दूध व जल से स्नान कराया जाता है और फिर सिंदूर व चंदन से सजाया जाता है। इसे बाद पुष्प और हल्दी से भूदेवी की पूजा विधि-विधान से की जाती है।