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दुर्गा विसर्जन

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दुर्गा पूजा उत्सव का समापन दुर्गा विर्सजन के साथ होता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक विधि-विधान से माता रानी की पूजा के बाद दशमी तिथि पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। दरअसल माँ दुर्गा नौ दिनों तक धरती पर रहने के बाद माता रानी दशहरा के दिन वापस अपने लोक लौट जाती हैं। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर उनको विदाई दी जाती है। देवी दुर्गा के ज्यादातर भक्त विसर्जन के बाद ही नवरात्रि का व्रत तोड़ते हैं।
माँ दुर्गा विसर्जन के बाद विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है। माँ दुर्गा ने इस दिन असुर महिषासुर का वध किया था। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री राम ने राक्षस रावण का वध किया था। दुर्गा विसर्जन का दिन माता की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। वैसे तो पूरे देश में ही इसकी धूम देखने को मिलती है लेकिन पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में इसकी महिमा कुछ अलग ही देखने को मिलती है। दुर्गा विसर्जन के दिन भक्त माँ के मस्तक पर सिन्दूर लगा कर उनकी पूजा कर माँ दुर्गा की आरती उतारते हैं। यह त्योहार माता दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन की परंपरा को दर्शाता है। महंत श्री पारस भाई जी का कहना है कि इस दिन माता की आराधना करने से जीवन के सारे कष्टों का निवारण हो जाता है।