सूर्य जब एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। पूरे साल में 12 संक्रान्तियां होती हैं और हर एक संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। जब सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे वृषभ संक्रांति कहा जाता है। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने से व्यक्ति यश और मान-सम्मान को प्राप्त करता है। इस दिन सूर्य आराधना से सूर्य ग्रह से संबंधी दोष दूर होते हैं। इस दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
वृषभ संक्रांति के दौरान सूर्य का महत्व और बढ़ जाता है। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि कुंडली में सूर्य की स्थिति शुभ हो तो जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को जगत की आत्मा का कारक माना गया है। इस दिन सूर्य देव की पूजा आराधना करनी चाहिए। सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान सूर्यनारायण की कृपा बनी रहती है। इस दिन गाय माता का दान करें या इसके अलावा किसी गौशाला में गायों के लिए जरूरी सामान का दान करें।