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अक्षय तृत्तीय- शुभारम्भ का शुभ मुहूर्त

Blog, 30/04/2025

अक्षय तृतीया का यह पावन पर्व भारत की संस्कृति में एक अलग ही महत्त्व रखता है। अक्षय तृतीया वैभव, समृद्धि और सुख का प्रतीक माना जाता है। नाम से ज्ञात हो जाता है की अक्षय यानी जिसका कभी क्षय या नाश नहीं हो सकता इसलिए इस दिन शुरू किये गए  सत्कर्म, दान-पुण्य एवं संकल्प चिरस्थायी रहते हैं। 

पारस परिवार आप सभी को इस शुभ दिन के महत्त्व और विशेषता से परिचित कराते हुए आपको ह्रदय से शुभकामनायें प्रदान करता है। 

अक्षय तृतीया के पीछे का पौराणिक रहस्य 

सतयुग में मन जाता है अक्षय तृतीया के दिन ही श्रीहरी विष्णु ने परशुराम अवतार लिए था।  द्वापर युग में आज ही के दिन श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र  देकर ऋषि दुर्वासा के श्राप से सुरक्षित किया था।  अक्षय तृतीया के पवित्र दिन ही सतयुग और त्रेता युग का आरम्भ हुआ था इसी कारण इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है।  इसी महत्त्व को ध्यान में रखते हुए अक्षय तृतीया के इस पर्व को शुभ कार्यों के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है।

अक्सह्य तृतीया क्यों है महत्वपूर्ण 

कोई भी शुभ कार्य जैसे नया व्यापार, मकान का शिलान्यास, विवाह या पूजा पाठ जैसे शुभ कार्य अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त के भी किये जा सकते  हैं।   

अक्षय तृतीया के दिन स्वर्णाभूषण, भूमि पूजन, नयी दूकान या ऑफिस का उदघाटन अत्यंत ही शुभकारी होता है एवं उत्तम फल देता है।  

अक्षय तृतीया के दिन दिया गया दान, हवन एवं सेवा वाले शुभ काम, अक्षय फल देने वाले होते हैं ।

पारस परिवार का संदेश

पारस परिवार यह मांटगे है की अक्षय तृतीया केवल भौतिक सुख और समृद्धि ही प्रदान नहीं करता साथ ही साथ यह साधक का आध्यात्मिक जागरण का भी प्रतीक हैं। 

तो आइये इस पावन दिन हम सभी ये संकल्प लें की 

हमारे जीवन में अनंत सकारात्मकता, दया और सेवा की भावना सदैव बानी रहे।

जरूरतमंदों की ज़रूरतें पूरी करके और निरंतर दान करने से अपने जीवन में सत्कर्म और पुण्य का प्रवह जारी रखें। 

समाज में लोक कल्याण, एकता और भाईचारा के साथ प्रेम की भावना का सन्देश प्रसार करें। 

ऐसे मनाएं अक्षय तृतीया 

उषा काल में ऋषि स्नान से निवृत होकर  माता लक्ष्मी के साथ नायं भगवान् की पूजा करें।

आँगन में तुलसी को जल अर्पित करके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करें।

जरूरतमंदों और गरीबों में अन्न, जल और वस्त्र दान करके सहायता करें।

कोई नया व्यापार, दूकान या ऑफिस या अन्य वाणिज्यिक कार्य की शुरुआत आज ही के दिन करें।

परिजनों के साथ असहायों को भोजन करके, पौधरोपण, गौसेवा जैसी अन्य सेवा से परिपूरित कार्य करके अनंत पुण्य के भागीदार बनें 

निष्कर्ष

अक्षय तृतीया को केवल एक तिथि नहीं, अपितु एक उचित अवसर समझे   अपने भीतर छुपी अच्छाई को अक्षय बनाकर जीवन को सत्कर्म से आच्छादित करने का.प्रयास करें। 

ईश्वर करें इस अक्षय तृतीया में आप के जीवन में सुख समृद्धि, आनंद और पुण्यता सदैव अक्षय बनी रहे।

 इसी कामना के साथ, एक बार फिर पारस परिवार की ओर से सभी को अक्षय तृतीया की ढेरों हार्दिक शुभकामनाएँ


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