सनातन धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि जो लोग इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह दिन शिव जी और मां पार्वती की पूजा का दिन है। चलिए जानते हैं प्रदोष व्रत पूजा कब है और क्या है इसका महत्व?
इस बार माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार को है। हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। यह प्रदोष व्रत बुधवार को है इसलिए इस दिन होने के कारण यह बुध प्रदोष व्रत है। यानि जिस दिन प्रदोष व्रत होता है, उस दिन का नाम प्रदोष व्रत के आगे जुड़ जाता है। जैसे बुधवार के दिन का प्रदोष बुध प्रदोष, शुक्रवार के दिन का प्रदोष शुक्र प्रदोष, शनिवार के दिन का प्रदोष शनि प्रदोष कहलाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और वो अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। जाने माने ज्योतिष महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि प्रदोष व्रत की पूजा अर्चना शाम के वक्त प्रदोष काल में की जाती है।
प्रदोष व्रत के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठें और व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान शिवजी का ध्यान करें। पूरे घर में और पूजा के स्थान में गंगाजल छिड़कें। फिर श्रद्धा भाव से पूजा की तैयारी कर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें। पूजा के समय संभव हो तो सफ़ेद वस्त्र धारण करें। बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, फल, पुष्प, पान, सुपारी आदि भगवान शिव को अर्पित करें। भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, शमी की पत्तियां और गन्ने का रस चढ़ाएं। इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है। व्रत करने वालों को एक समय ही भोजन करना चाहिए और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। प्रदोष काल में शिव पूजन कर प्रदोष व्रत की कथा सुनें व पढ़ें और सफ़ेद चीज़ों का भोग अर्पित करें। फिर शिव जी की आरती के बाद सभी को भोग वितरण करें। इस दिन शाम की पूजा के बाद फलाहार करें और अगले दिन व्रत का पारण करें। महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है और भगवान शंकर की पूजा करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान जरूर निकलता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। बुध प्रदोष व्रत के दिन सुबह और शाम को भगवान गणेश जो को हरी इलायची अर्पित करें और साथ ही बुद्धिप्रदाये नमः मंत्र का जाप करें।
प्रदोष व्रत को बहुत ही उत्तम फलदायी व्रत माना गया है। प्रदोष व्रत का दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। हर माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं। प्रदोष व्रत के दिन शिव परिवार की पूजा की जाती है। शिव पूजन के लिए प्रदोष व्रत का दिन बहुत खास माना जाता है। इस दिन लोग पूरी श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए उनका व्रत रखते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं। 7 फरवरी को शिववास भी है। इस दिन आप व्रत रखने के साथ ही रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं। भगवान शिव को जल अर्पित करने के साथ-साथ दूध, दही, भांग, धतूरा आदि भी अर्पित करें।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस दिन शिव चालीसा का पाठ करना भी आपके लिए लाभदायी होता है। प्रदोष का अर्थ होता है दिन का अवसान और रात्रि का आगमन यानी संध्याकाल। दरअसल यह समय भगवान शिव को बहुत प्रिय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान शिव सभी देवी-देवताओं के साथ कैलाश पर नृत्य करते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने और प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष के महान ज्ञाता महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि प्रदोष व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के दोष खत्म हो जाते हैं। भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए यह व्रत विशेष रूप से फलदायी माना गया है। क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से देवों के देव महादेव की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहती है।
महंत श्री पारस भाई जी ने प्रदोष व्रत के बारे में बताया कि यह व्रत साप्ताहिक महत्त्व भी रखता है। सोमवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत आरोग्य प्रदान करता है और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यदि मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत हो तो उस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने से आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत आने पर इस व्रत के प्रभाव से शत्रुओं का नाश होता है। शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दाम्पत्य जीवन में सुख-शान्ति आती है। शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य में लाभ प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा एक साथ करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही व्यक्ति का मन भी पवित्र होता है। प्रदोष व्रत स्त्री-पुरुष दोनों द्वारा रखा जाता है। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि इस व्रत से सभी दोषों की मुक्ति होती है और संकटों का निवारण होता है।
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार प्रदोष के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती हैं। प्रदोष व्रत के महत्व की बात करें तो यह मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि जब चारों ओर अन्याय और अधर्म बढ़ेगा तब उस समय जो व्यक्ति इस व्रत को रख कर शिव जी की आराधना करेगा, उस पर शिव जी की विशेष कृपा होगी। वह व्यक्ति इस व्रत को रखने से सत्कर्म करेगा और उसे सद्गति प्राप्त होगी। साथ ही वह मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ेगा। इसके अलावा प्रदोष व्रत करने से दरिद्रता और ऋण के भार से मुक्ति मिलती है और सारे दोष और कष्ट मिट जाते हैं।
माघ मास के पहले प्रदोष पर भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रदोष व्रत एक ही देश के दो अलग-अलग शहरों के लिए अलग हो सकते हैं। दरअसल प्रदोष व्रत सूर्यास्त के समय, त्रयोदशी के प्रबल होने पर निर्भर करता है एवं दो शहरों का सूर्यास्त का समय अलग-अलग हो सकता है, इसलिए दोनो शहरों के प्रदोष व्रत का समय भी अलग-अलग हो सकता है। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है। प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा करने से व्यक्ति के पाप और रोग दूर होते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से सुख, समृद्धि, सफलता, धन, धान्य आदि की प्राप्ति होती है।
“शिव कृपा सब पर हमेशा बनी रहे, “पारस परिवार” की ओर से माघ प्रदोष व्रत की शुभकामनाएं”…
"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."