हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि सबसे महत्वपूर्ण मानी गयी है। माघ माह में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या और माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। सभी अमावस्या तिथियों में मौनी अमावस्या सबसे उत्तम तिथि मानी जाती है। इस विशेष अवसर पर मौन रहना अत्यंत शुभ होता है। चलिए जानते हैं मौनी अमावस्या की तिथि, पूजा विधि और महत्व के बारे में।
सभी अमावस्या तिथियों में मौनी अमावस्या सबसे उत्तम तिथि
महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या, माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के दिन मौन रहना काफी शुभ होता है। मौनी अमावस्या के दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं और आस्था की डुबकी लगाते हैं। क्योंकि इस दिन ऐसा करना बहुत ही अच्छा माना जाता है। वहीं इस दिन मौन रहकर दान करने का भी अत्यंत महत्व है। चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रहों की ऊर्जा के प्रभाव से इस दिन का महत्व अधिक बढ़ जाता है। यही वजह है कि मकर में सूर्य और चंद्र के एकत्र होने पर मौनी अमावस्या मनाई जाती है।
कब है माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या ?
इस बार माघ माह में अमावस्या तिथि 9 फरवरी शुक्रवार के दिन है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार, इस तिथि पर गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-अर्चना करना कल्याणकारी और पुण्यदायी होता है। मौनी अमावस्या के दिन तिल से जुड़ी चीज़ें जैसे तिल के लड्डू, तिल का तेल आदि दान करें। गरीब और जरूरतमंद लोगों को कंबल आदि कपड़े दान करने चाहिए।
मौनी अमावस्या पूजा विधि
मौनी अमावस्या के दिन की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु के ध्यान के साथ करें। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना लाभदायी होता है। इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान जरूर करें। यदि नदी में स्नान करना आपके लिए संभव नहीं है तो घर में ही गंगाजल डालकर स्नान करें। फिर सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इस दिन स्नान के बाद सूर्य को तिल से अर्घ्य देना भी अत्यंत लाभदायक होता है। इसके अलावा अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करें। इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। इस दिन गरीबों को भोजन अवश्य करवायें।
मौनी अमावस्या का महत्व
इस दिन दान पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। अमावस्या की तिथियों में से मौनी अमावस्या हितकारी मानी गयी है। इस खास अवसर पर मौन रहना शुभ होता है। मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना फलदायी होता है। मौनी अमावस्या पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा दान भी किया जाता है। माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन दान करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार यदि इस दिन दान किया जाए तो जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व है इसलिए इस दिन मुख से कोई भी खराब वचन न बोलें। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मन की स्थिति कमजोर होती है इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन पर रोक लगानी चाहिए।
पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए यह दिन है अत्यंत शुभ
मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। महंत श्री पारस भाई जी ने इस दिन की महत्ता के बारे में बताया कि इस दिन आपके द्वारा किये गए दान-पुण्य और पूजा से अन्य दिनों के मुकाबले में हजारों गुणा पुण्य फल प्राप्त होता है और ग्रह दोषों के प्रभाव भी कम होते हैं। इसके अलावा पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन पितरों को तर्पण अवश्य दें।
अमावस्या पर चंद्रमा से संबंधित सफेद वस्तुएं दान करें
मौनी अमावस्या के दिन स्वयं का उद्धार तथा पितरों की शांति के लिए दान, पुण्य और स्नान का विधान शास्त्रों में भी किया गया है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार इस दिन दान करने से पापों का क्षय होता है और सभी प्रकार की दुखों का भी निवारण होता है। अमावस्या पर चंद्रमा से संबंधित सफेद वस्तुएं जैसे दूध, दही, चीनी, चावल आदि का दान करने से चंद्रमा अनुकूल होता है।
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
अमावस्या के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नेगेटिविटी दूर होती है। मौनी अमावस्या, माघ के महीने का सबसे बड़ा स्नान पर्व है इसलिए मौनी अमावस्या के स्नान का पर्व अन्य सभी स्नान पर्वों में सबसे प्रभावशाली माना गया है। मौनी अमावस्या पर दान करने से आपके ग्रह भी सही होते हैं। इस दिन मौन रखकर मन शांत रहता है और मौन व्रत रखने से आप लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
शनि दोष से भी मिलता है छुटकारा
मौनी अमावस्या के पर्व पर शंकरजी का रुद्राभिषेक करने का विधान है। ज्योतिष के विद्वान महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस दिन गंगा स्नान से अमोघ फल मिलता है, क्योंकि हिंदू धर्म में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना गया है और ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा का जल अमृत तुल्य हो जाता है। माना जाता है कि इस दिन गंगाजल में देवताओं का वास होता है इसलिए गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है। पूरे साल में यह एकमात्र ऐसी अमावस्या है जिसमें मौन व्रत कर जप, तप, पूजा पाठ करने से पितृ और शनि दोष से छुटकारा मिलता है।
सुख, शांति और समृद्धि की मनोकामना के साथ आप सभी को "पारस परिवार" की ओर से मौनी अमावस्या की शुभकामनाएं !!!
"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."