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होली - एकता, सद्भाव, खुशी और रंगों का पर्व

Blog, 23/03/2024

होली रंगों और खुशियों का त्यौहार है। होली एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्यौहार है। रंगों और उमंगो से भरा यह त्यौहार पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोगों के बीच में इस त्यौहार को लेकर अलग ही जश्न देखने को मिलता है। होली प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। एकता, सद्भाव, खुशी और रंगों के पर्व होली में सभी लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं। होली का यह त्यौहार सबके जीवन मे बहुत सारी खुशियाँ और प्यार के रंग भरता है। तो इसी प्यार के रंग में चलिए हम सब भी एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं।

 

कब है होली का त्यौहार ?

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल 24 मार्च को होलिका दहन है और 25 मार्च को होली है। इस दिन देशभर में धूमधाम से होली मनाई जाएगी। होली भारत का बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंगों की होली खेलकर मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च माह के आरंभ में यह त्यौहार मनाया जाता है। महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि होली के रंग ऊर्जा और आनंद के सूचक हैं।

 

होली का महत्व

होली धर्मिक और सांस्कृतिक महत्व का भी प्रतीक है जो लोगों को उनकी परंपराओं और संस्कृति के प्रति समर्पित करता है। होली हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। यह त्यौहार खुशियों का त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और रंग-बिरंगे संदेश देता है। इसके साथ ही, यह प्रेम, सौहार्द, और एकता का संदेश भी लेकर आता है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे के साथ रंग खेलते हैं, मिठाई बाँटते हैं और एक-दूसरे के साथ प्यार और खुशी का आदान-प्रदान करते हैं। यह त्योहार सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है और लोगों को एक-दूसरे के साथ बेहतर संबंध बनाने का खूबसूरत संदेश भी देता है। लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण इसे आमतौर पर ‘रंग महोत्सव’ भी कहा जाता है। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि जीवन रंगों से भरा होना चाहिए। इसलिए हर रंग अलग-अलग बनाए गए हैं। जब हमारा मन उज्जवल और चेतना शुद्ध और प्रसन्न हो तो विभिन्न रंगों एवं भूमिकाओं का जन्म होता है।

 

महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि होली खुशी का त्योहार है इसलिए यह जीवन के साथ-साथ वातावरण और समाज में फैले अंधकार को भी दूर कर देता है। होली के विभिन्न रंगों की तरह हर किसी का जीवन भी खूबसूरत बन जाये। यही होली का त्यौहार सन्देश देता है।

 

होली खेलते हुए ध्यान रखें ये कुछ बातें

होली खेलते हुए रंगों का उपयोग सोच समझ कर करें। क्योंकि यदि आप सही रंगों का प्रयोग नहीं करते हैं तो इससे आपको हानि हो सकती है। अपने दोस्तों और परिवार के साथ अच्छे रंगों का इस्तेमाल करके ही होली खेलें। यह त्योहार प्रेम का प्रतीक है इसलिए गिले-शिकवे भुलाकर अच्छी भावनाओं के साथ इस त्यौहार को मनाएं और दुखों को भूलकर खुशियों में डूब जाएं। होली खेलते समय सभ्य बने रहें और अन्य लोगों का आदर करें। किसी के साथ भी गलत व्यवहार से बचें और सभी के साथ खुशहाली मनाएं। सुरक्षा का भी ध्यान रखें उचित रंगों का चयन करें, जो त्वचा के लिए सुरक्षित हों। रंगों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतें और सुरक्षित रहें। होली के दिन आप अपने प्रियजनों और दोस्तों के साथ एक दूसरे पर रंग डालें और इस पर्व का आनंद लें। सबके चेहरे खुशियों में रंगे हों, क्योंकि खुशियों भरे चेहरे जीवन को रंगीन बना देते हैं।

 

होली पर करें हर्बल रंगों का प्रयोग

होली पर हर्बल रंगों का प्रयोग करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। खासकर जब आप अपनी त्वचा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता रखते हैं। हर्बल रंग प्राकृतिक तत्वों से बने होते हैं। जैसे फूलों, पौधों और अन्य प्राकृतिक पदार्थों से जो आपकी त्वचा को नुकसान पहुँचाने से बचते हैं। इसके अलावा प्राकृतिक रंग आसानी से पानी से साफ़ हो जाते हैं। क्योंकि यह प्राकृतिक तरीकों से बनाये जाते हैं इसलिए इनका प्रयोग त्वचा के लिए सुरक्षित होता है। होली पर आपको चाहिए कि सुरक्षित रंग का चयन करें और त्वचा को प्राकृतिक तरीकों से सुरक्षित रखें। आप किसी भी नये रंग का प्रयोग करते समय पहले उसका टेस्ट करें और सुरक्षित रंग का चयन करें।

 

कैसे हुई होली मनाने की शुरुआत ?

होली को मनाने के पीछे की कहानी बहुत ही महत्वपूर्ण और रोचक है। इसका महत्व पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णित किया गया है। यहां एक संक्षिप्त रूप में होली की कुछ मुख्य कथाएं निम्न हैं-

  • हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा- प्राचीन काल में, दानव राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन प्रह्लाद उनके आदेशों का पालन न करके भगवान की भक्ति में लीन हो गया। इसके बाद, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से उसे कुछ भी नहीं हुआ। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली का पर्व मनाया जाता है। रंगों से खेलने के रूप में होली मनाने का एक कारण यह भी माना जाता है।
  • भगवान कृष्ण की कथा-होली का भगवान कृष्ण से गहरा संबंध है। होली के त्योहार के कारणों में से एक भगवान कृष्ण की रासलीला के आधार पर भी माना जाता है। इस खेल की याद में, होली का खेल मनाया जाता है, जिसमें लोग रंगों से खेलते हैं और प्रेम और खुशी का आनंद लेते हैं। होली का पर्व राधा-कृष्ण के अटूट प्रेम का प्रतीक भी है। विभिन्न परंपराओं और कथाओं में, होली के त्योहार का खेल भगवान कृष्ण के प्रेम और श्रृंगार की लीलाओं को याद करने का एक उपाय माना जाता है। इसके अलावा, कृष्ण और राधा के बीच मिठास और प्रेम का संबंध भी होली के महत्वपूर्ण पहलु के रूप में माना जाता है।
  • भगवान कृष्ण की एक अन्य कथा-एक अन्य कथा के अनुसार भगवान कृष्ण का रंग सांवला था और राधा रानी गोरी थीं। इसलिए कृष्ण भगवान अपनी माता यशोदा से बार बार पूछते थे कि वह गोरे क्यों नहीं हैं, उनका रंग सांवला क्यों है। यह सुनकर यशोदा माता ने कान्हा से कहा कि जो रंग तुम्हारा है वही रंग राधा के चेहरे पर भी लगा दो इसके बाद तुम दोनों का एक जैसा रंग हो जाएगा। यह सुनकर भगवान कृष्ण अपनी साथी ग्वालों के साथ राधा के पास गए और उन्हें रंग दिया। माना जाता है कि तब से ही रंग वाली होली खेली जाती है। इसलिए आज भी मथुरा में बहुत ही धूमधाम के साथ होली खेली जाती है।

 

आप सबको “पारस परिवार” की ओर से एकता, सद्भाव, खुशी और रंगों के पर्व होली की ढेर सारी शुभकामनायें।

आइये सब मिलकर एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसायें !!!

 

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