हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि एकादशी के दिन व्रत रखने और श्रद्धा-भाव से पूजा-पाठ करने से घर में खुशहाली बनी रहती है। जैसे कि इसके नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यानि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। इस दिन उपवास रख भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत कब है और क्या है इस व्रत का महत्व ?
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष तिथि के दिन आने वाली एकादशी को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। उदया तिथि के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत 05 अप्रैल, शुक्रवार के दिन किया जाएगा। इस दिन प्रभु श्री हरि की कृपा प्राप्त की जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करके और उनकी आराधना करके भक्त पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। माना जाता है कि एकादशी के व्रत से चंद्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है।
पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि निम्न है-
ध्यान रहे कि पापमोचनी एकादशी के दिन निराहार व्रत का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। महंत श्री पारस भाई जी का कहना है कि विकट से विकट स्थिति में भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने से आपके सभी पाप मिट जाते हैं। इस दिन व्रत रखने का विधान है। पापमोचिनी एकादशी के दिन लक्ष्मीनारायण की विधिपूर्वक पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन एकादशी की व्रत कथा सुनने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उस घर में हमेशा सुख-समृद्धि का वास रहता है। इस एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को शांति और धर्म की प्राप्ति होती है। पापमोचिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पीले फूलों से पूजा करने पर उनकी कृपा बरसती है।
पापमोचनी एकादशी का विशेष महत्व है कि इस दिन भक्त अपने पापों की क्षमा के लिए भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और उनसे क्षमा याचना करते हैं। जो भी व्यक्ति इस एकादशी का व्रत उत्साहपूर्वक करता है, उसकी जीवन में पराजय नहीं होती है। उसके सारे पाप ध्वस्त हो जाते हैं और वह मन, वचन एवं कर्म से पवित्र बनता है। इस तरह आप अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए सत्य, शुद्धता और धर्म के मार्ग पर चलते हैं।
इस एकादशी व्रत के द्वारा लोग अपने अन्याय, अधर्म, और दुष्कर्मों को छोड़कर धार्मिक और नेक जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इस उपासना के प्रभाव से भगवान की कृपा प्राप्ति होती है और व्यक्ति का मानवता के प्रति समर्पण और सेवा में वृद्धि होती है। पापमोचिनी एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और प्रायश्चित करने के लिए भी रखा जाता है। इस दिन नवग्रहों की पूजा करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है।
पापमोचनी एकादशी के दिन निम्न कार्य करें :-
यदि आप ये सभी कार्य करते हैं तो भगवान विष्णु आप पर प्रसन्न होंगे और आपकी उन्नति होगी। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार पापमोचिनी एकादशी को व्रत रखना बेहद फलदायी माना गया है।
"पारस परिवार" की तरफ से आप सबको पापों का नाश करने वाली "पापमोचनी एकादशी" की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !!!
ॐ नारायाणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि ।। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ।।
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"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."