जब भी आपके घर में या कहीं भी पूजा होती है तो आपने अक्सर देखा होगा कि पंडित जी आपकी कलाई पर मौली या जिसे कलावा भी कहते हैं जरूर बांधते हैं। इसे मौली और कलावा के अलावा रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। क्या आप जानते हैं क्यों बांधा जाता है पूजा में कलावा, क्या है इसको बांधने का धार्मिक महत्व ? कैसे करता है यह रक्षा सूत्र आपकी रक्षा, क्या इसको हाथ में बांधने का कोई शारीरिक लाभ भी है, ऐसे कई सारे सवाल हैं जिन सभी सवालों का जवाब आज इस आर्टिकल के माध्यम से आपको मिल जायेगा।
हाथ में रक्षा सूत्र या मौली बाँधने का महत्व
हाथ में रक्षा सूत्र या मौली बाँधने का धार्मिक महत्व तो है ही इसके साथ-साथ यह व्यक्ति को सुरक्षा और संरक्षण का अहसास दिलाता है। हाथ में मौली बाँधने का महत्व धार्मिकता और शुभता को दर्शाता है। यानि यह एक तरह से आपको मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह एक प्राचीन परंपरा का प्रतीक है जो साथ ही विश्वास का भी प्रतीक है। यह व्यक्ति को सच्चे मन, शुद्ध चित्त और उच्च आदर्शों की ओर प्रेरित करता है। इसे प्रार्थना, पूजा, यात्रा आदि में धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। मौली से जीवन में खुशहाली आती है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हिंदू संस्कृति में मंत्रों के उच्चारण के साथ बांधे गए कच्चे धागे एक कवच की तरह मनुष्य की रक्षा करते हैं।
हाथ में रक्षा सूत्र या मौली बाँधने का सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। यह एक प्राचीन संस्कृति और विरासत का भी प्रतीक है, जो समृद्धि, सम्मान और परंपरागत संबंधों का प्रतिबिंब करता है। इसके अलावा, यह समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी प्रस्तुत करता है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देता है। इसके माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान और गरिमा को बनाए रखते हैं।
मान्यता है कि कलाई पर मौली बांधकर की गई पूजा जल्दी सफल होती है और जीवन में चल रही सभी समस्याएं दूर होती हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि मौली बुरी नजर और संकट से रक्षा करती है।
हाथ में रक्षा सूत्र या मौली बाँधने का कारण
पौराणिक मान्यता है कि राजा बलि की दानवीरता से वामन देव बहुत प्रसन्न हुए थे और तब उन्होंने अमरता का वरदान देने के लिए राजा बलि की कलाई पर रक्षा सूत्र को बांधा था। ऐसा माना जाता है कि मौली बांधने से त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है और साथ-साथ तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा भी बरसती है।
हाथ में रक्षा सूत्र या मौली बाँधने के कई कारण हो सकते हैं। इसका प्रमुख कारण धार्मिक संदेश को आगे बढ़ाना है। यह परंपरागत मान्यताओं का पालन करने का एक तरीका होता है और धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। विभिन्न धार्मिक और परंपरागत अवसरों पर इसे पहना जाता है जैसे पूजा, पर्व, और त्योहार, जहां इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मौली को धारण करने से व्यक्ति के जीवन की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
इसे धार्मिक समृद्धि, सुरक्षा, और शुभता का संकेत माना जाता है जो व्यक्ति को अच्छे कर्मों के माध्यम से धार्मिक एवं मानवता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। मौली बांधने के पीछे एक अन्य मान्यता है कि जब देवराज इन्द्र वृत्रासुर से युद्ध करने जा रहे थे,तब इंद्राणी ने उनकी भुजा पर रक्षा सूत्र बांधा था। इसलिए रक्षा कवच के रूप में मौली बांधी जाती है।
मौली बाँधने के शारीरिक लाभ
मौली के बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि कलाई पर मौली बांधने से धर्म लाभ के साथ ही कई शारीरिक लाभ भी मिलते हैं। मौली कलाई पर उस जगह पर बांधी जाती है, जहां से नाड़ी की गति की जांच की जाती है और यहीं से व्यक्ति के शरीर में बीमारियों का पता किया जाता है।
यानि कलाई पर मौली बांधने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। दरअसल जब हम कलाई पर मौली बांधते हैं तो इससे कलाई की नसों पर दबाव बनता है। ऐसा करने से हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ का भी संतुलन बना रहता है। इस तरह से हम स्वस्थ रहते हैं और बीमारियों से दूर रहते हैं। हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ ही सब बीमारियों का कारण होते हैं। मौली का जो धागा होता है वह एक एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है और मौली कई गंभीर बीमारियों में लाभ पहुँचाता है।
हाथ में रक्षा सूत्र या मौली बाँधने का मुख्य उद्देश्य
हाथ में रक्षा सूत्र या मौली बाँधने का मुख्य उद्देश्य धार्मिक भावना को साझा करना होता है। मौली केवल हाथ की कलाई पर ही नहीं बांधा जाता है बल्कि इसे गले और कमर में भी बांधा जाता है। मौली को पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधा जाता है।
इसके अलावा इसे समृद्धि के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। लोग इसे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक अवसरों पर बाँधते हैं, इससे संगठन, आत्म-समर्थन और सामूहिक सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।
पूजा में मौली बाँधने का महत्व बहुत ही बड़ा होता है। यह पूजा के दौरान भगवान की कृपा, सुरक्षा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए एक माध्यम के रूप में माना जाता है। मौली के बाँधने से व्यक्ति अपने मन, शरीर, और आत्मा को पवित्र करता है और पूजा में अधिक ध्यान और श्रद्धा लाता है। इसके साथ ही, इससे समर्पण और आत्मनिर्भरता की भावना भी विकसित होती है। मौली का बाँधना पूजा में एक महत्वपूर्ण और सात्विक प्रयोग है। मौली मन्नत के लिए किसी मंदिर में या देवी-देवता के स्थान पर भी बांधा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पूजा करने के बाद जब कलावा या रक्षा सूत्र बांधा जाता है, तो उस देवी-देवता की अदृश्य शक्ति धागों में समाहित हो जाती है। फिर मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
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