देखा जाये तो हिंदू धर्म में नवरात्रि के साथ-साथ अक्सर सभी धार्मिक कार्यों में कलश की स्थापना जरूर होती है। बिना कलश स्थापना के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कलश स्थापना करने से घर से और आपके जीवन से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइये इस ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं कि आखिर नवरात्रि में क्यों की जाती है कलश स्थापना ?
नवरात्रि में कलश स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है और नवरात्रि में अधिकांश घरों में कलश या घट स्थापना की जाती है। इसलिए घट स्थापना से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर क्यों की जाती है धार्मिक कार्यों में कलश स्थापना। दरअसल कलश स्थापना से ऐश्वर्य व सुख-समृद्धि आती है और कामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि कलश के मुख में विष्णुजी का वास, कंठ में शंकर जी का, कलश के मध्य भाग में दैवीय मातृशक्तियाें का और मूल में ब्रह्मा जी का वास होता है। यानि कलश में देवों का वास होता है और पूजा में कलश, देवी-देवता की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि सनातन धर्म में कलश को मातृ शक्ति, त्रिदेव, त्रिगुणात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
कलश के लिए हमेशा सोना, चांदी, तांबा या पीतल के धातु का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन मिट्टी के कलश की स्थापना करना बहुत शुभ माना गया है। कलश रखने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और पूजा बिना किसी विघ्न के पूरी हो जाती है। कलश स्थापना करने से पहले बालू की वेदी भी बनाई जाती है, जिसमें जौ बोए जाते हैं। जौ धन-धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए बोए जाते हैं। मां अन्नपूर्णा की कृपा से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं आती है।
महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि कलश स्थापना सिर्फ किसी कार्य को सिद्ध करने के लिए ही नहीं की जाती है, बल्कि ये आपको कर्ज से भी मुक्ति दिलाता है। क्योंकि जिस घर में किसी भी शुभ कार्य में कलश स्थापित किए जाते हैं, उस घर में कभी कर्ज की समस्या नहीं रहती है।
कलश स्थापना से अखंड धन की प्राप्ति होती है और आपके पास कभी भी रुपयों की कमी नहीं होती है। क्योंकि कलश स्थापना से धन की देवी मां लक्ष्मी आपके ऊपर खुश होती हैं। आपका घर धन धान्य से भर जाता है। नवरात्रि में कलश स्थापना करने से मां दुर्गा की असीम कृपा बनी रहती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
कलश पर हम स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाते हैं, स्वास्तिक जीवन की चारों अवस्थाओं, जैसे बाल्य, युवा, प्रौढ़ और वृद्धावस्था का प्रतीक होता है।
कलश में जो पवित्र जल भरा होता है, उसका तात्पर्य यह होता है कि हम सबका मन भी उस जल की तरह निर्मल बना रहे। हमारे मन में ईर्ष्या और क्रोध की भावना न रहे। कलश को शांति और सृजन का संदेश वाहक भी कहा जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि हमारे हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में कलश अत्यंत मांगलिक चिन्ह के रूप में प्रतिष्ठित है।
कलश वाले बर्तन में नारियल, फूल, अनाज, आम के पत्ते, अक्षत, कुमकुम आदि रखा जाता है। इससे घर में खुशहाली आती है और दुःख दूर होते हैं। कलश वाले बर्तन में जो नारियल रखा जाता है वह भगवान गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। कलश में रखा जाने वाले नारियल से घर के सदस्यों को आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी भगवती पुराण में बताया गया है कि मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश स्थापना करनी चाहिए।
कलश में डाला जाने वाला दूर्वा और फूल इस चीज को दर्शाते हैं कि हमारे जीवन में दूर्वा के समान जीवन शक्ति और पुष्प जैसा उल्लास हो।
कुल मिलाकर कलश स्थापना के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है इसलिए हर साल नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। वैसे नवरात्रि के अलावा भी घर में किसी भी धार्मिक कार्य जैसे दिवाली पूजा, गृह प्रवेश, शादी-विवाह, नया व्यापार, धार्मिक कार्यक्रम, पूजा-पाठ आदि से पहले कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना के बाद ही सभी देवी-देवताओं को पूजा में आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। नवरात्रि में माता की पूजा करते समय माता की प्रतिमा के सामने कलश रखा जाता है। कलश स्थापना करने से घर में सुख-शांति के साथ वैभव भी बना रहता है। कलश को संपूर्ण ब्रह्मांड, भू-पिंड व पूरी सृष्टि का प्रतीक माना गया है। कलश को तीर्थ का भी प्रतीक मानते हैं।
“पारस परिवार” की ओर से “चैत्र नवरात्रि” की हार्दिक शुभकामनाएं !!
माँ दुर्गा आपको सुख, वैभव, धन- संपदा, शक्ति, भाग्य, सफलता और ऐश्वर्य का वरदान दे... जय माता दी !!
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"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."