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छठे नवरात्र की देवी- मां कात्यायनी जी

Blog, 13/04/2024

भारत में नवरात्रि का शुभ पर्व बहुत खास माना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है और पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति दुर्गा के अलग अलग नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है। मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है। 

14 अप्रैल 2024 नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी जी की पूजा होगी। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं। इस विशेष दिन पर महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है और उनके सभी दुःख दूर हो जाते हैं। तो आइये आज नवरात्रि के छठे दिन, मां कात्यायिनी जी के स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र के बारे में जानते हैं।

 

मां कात्यायनी जी का स्वरूप

मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। मां कात्यायनी जी का स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। मां कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है और मां, सिंह यानी शेर की सवारी करती हैं। शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं। इनके बायें हाथ में कमल और तलवार एवं दाहिने हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है।

मां का यह रूप बेहद सौम्य और मोहक है। नवरात्र के दिनों में मां की सच्चे मन से पूजा की जानी चाहिए। जो लोग मां की उपासना करते हैं मां खुश होकर हमेशा अपने बच्चों की झोली भर देती है। मां की पूजा से असीम बल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी जातक देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करता है, उसे परम पद की प्राप्ति होती है।

 

मां कात्यायनी जी की पूजा विधि

नवरात्रि की षष्ठी तिथि या छठे दिन सुबह उठकर स्नान-ध्यान करें। कोशिश करें देवी कात्यायनी की उपासना गोधूलि वेला में करें। फिर कलश पूजन के बाद मां कात्यायनी की पूजा करें। इस समय दूध में केसर मिलाकर देवी कात्यायनी का अभिषेक करें। देवी को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएं। प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें।

मां को लाल फूल, अक्षत, कुमकुम व सिंदूर अर्पित करें और फिर दीप जलाकर माता कात्यायनी देवी की आरती करें। हाथों में पुष्प लेकर मां को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करें। मां को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। माता को पूजा में पीले रंग का ज्यादा प्रयोग करें।

मां अम्बे का यह रूप लोगों के दुख-दर्द को खत्म करता है। पूजा करने से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की पूजा करने से शरीर में दिव्य शक्ति का संचार होता है।

 

मां कात्यायनी जी की पूजा का लाभ

पुराणों के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है। माना जाता है कि यदि सच्ची श्रद्धा से इनकी पूजा से गृहस्थ जीवन सुखपूर्वक चलता है। मां कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को अपार सुख की प्राप्ति होती है।

मां की कृपा से रोग, शोक, संताप और भय सभी नष्ट हो जाते हैं। माता का स्वरूप अत्यंत मनमोहक है और महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि पूर्ण श्रद्धा भाव से की गई मां कात्यायनी जी की उपासना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन मां को भोग में शहद अर्पित करें, मां जरूर प्रसन्न होगी।

वहीं जिनके विवाह में देरी हो रही हो या फिर जिनके वैवाहिक जीवन में खुशहाली नहीं है तो वे सभी लोग मां कात्यायिनी की उपासना जरूर करें आपको अवश्य लाभ होगा। मां कात्यायनी की पूजा से मनचाहा वर मिलता है और प्रेम विवाह की सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं।

 

मां कात्यायनी जी की पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में साधक को विशेष लाभ मिलता है। नवरात्रि के छठवें दिन सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पीले फूल चढ़ाते हुए 'ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी, नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।। का जाप करें।

 

माता कात्यायनी जी मंत्र

  • ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

      नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

  • कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।

      नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरुते नमः।।

  • क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।।
  • चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि

 

कौन हैं मां कात्यायनी ?

कौन हैं मां कात्यायनी जानते हैं, वनमीकथ नामक एक महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में प्रसिद्द महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्हीं ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया। दरअसल महर्षि कात्यायन की इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। उनकी कोई संतान नहीं थी।

उन्होंने मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। तब महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिया। कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी इच्छा बताई। देवी भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। यही वजह है कि माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।

मां कात्यायनी स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं और इसके साथ ही स्त्री ऊर्जा का स्वरूप भी हैं। मां कात्यायनी का ब्रज धाम में भी अत्यंत महत्व है। आज भी ब्रज मंडल में मां कात्यायनी को कृष्ण पूजन से पहले पूजा जाता है। गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी। ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाता है। माँ की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है।

 

जय माता दी.... जय माता दी....

"पारस परिवार" की ओर से आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं… इस नवरात्रि मां कात्यायनी जी आपको सुख, समृद्धि, वैभव और ख्याति प्रदान करें।

 

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