देवी दुर्गा के नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूप अनंत शक्तियों का भंडार होते हैं। माँ दुर्गा के हर स्वरूप से एक विशेष तरह का आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होता है। इनकी उपासना से अलग-अलग सिद्धियां प्राप्त होती हैं और कई अनेक लाभ मिलते हैं। सच्चे मन से जो भी माँ की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 16 अप्रैल 2024 को मां दुर्गा का आठवां स्वरूप माता महागौरी का दिन है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है और माँ महागौरी के पूजन से सभी नौ देवियाँ प्रसन्न होती हैं। तो आज जानते हैं माता के 8 वें स्वरूप मां महागौरी की पूजा का महत्व, पूजा विधि, मंत्र और भोग।
मां महागौरी या अष्टमी तिथि की पूजा नवरात्रि के अन्य दिनों की तरह ही की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के उपरांत साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। फिर इसके बाद साफ जगह पर चौकी रखकर स्वच्छ लाल कपड़ा बिछाकर मां महागौरी की मूर्ति रखें। मां महागौरी को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत चढ़ायें और दीप प्रज्जवलित करें। माँ को नारियल या इससे बनी हुई मिठाइयों का भोग लगाएं। साथ ही माता को लाल चुनरी अर्पित करनी चाहिए। मां का ध्यान करते हुए सफेद फूल हाथ में रखें और माँ को अर्पित कर दें।
अब दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती के साथ मां महागौरी के बीज मंत्र का जाप करें और फिर माँ की आरती करें। इस दिन मां के कल्याणकारी मंत्र ओम देवी महागौर्यै नम: मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन मां महागौरी को हलवा-पूड़ी, सब्जी, काले चने का भोग लगाएं। इसके अलावा कन्या पूजन करते हुए कन्याओं को भी लाल चुनरी चढ़ाएं और उन्हें हलवा-पूड़ी, सब्जी, काले चने का प्रसाद दें।
ऐसा करने से माँ प्रसन्न होती हैं और माना जाता है कि मां अपने भक्तों को कांतिमय सौंदर्य प्रदान करती हैं। वैसे तो ज्यादातर घरों में इस दिन ही कन्या पूजन किया जाता है और वहीं कुछ लोग नवमी के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद कन्या पूजन करते हैं।
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी को नारियल या उससे बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से मां महागौरी प्रसन्न होती हैं और आपका घर धन-संपदा से भर देती हैं। मां को आप नारियल की बर्फी या लड्डू बनाकर अर्पित कर सकते हैं। मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी की पूजा अर्चना विधिवत रूप से करने से जीवन का हर कष्ट दूर होता है और माता की कृपा हमेशा बनी रहती है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन भी कन्या पूजन करना अच्छा माना जाता है। कन्याओं की संख्या कम से कम 9 हो तो शुभ होता है। अगर 9 कन्याएं नहीं हुई तो दो कन्याओं के साथ भी पूजा की जा सकती है।
मां महागौरी जी, नारी, शक्ति, ऐश्वर्य और सौन्दर्य की देवी हैं। इनका गौर वर्ण है। माँ महागौरी जी के गोरे रंग की तुलना शंख, चंद्रमा और चमेली के फूलों की सफेदी से की जाती है। इनके नाम में ‘महा’ का अर्थ है महान और ‘गौरी’ का अर्थ सफेद है। अपनी तपस्या से माँ ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। मां महागौरी के सभी वस्त्र और आभूषण सफेद रंग के हैं इसलिए माता को श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है।
इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है, 'अष्टवर्षा भवेद् गौरी।' महागौरी की चार भुजाएँ हैं। देवी एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू लिए हुए हैं। वहीं एक हाथ अभय और एक हाथ वरमुद्रा में है। उत्पत्ति के समय यह आठ वर्ष की थीं, इसलिए इन्हें नवरात्र के आठवें दिन पूजा जाता है। मां महागौरी सफेद वस्त्र धारण कर बैल की सवारी करती हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।
मां का ये स्वरूप अत्यंत सौम्य, बेहद सरस, सुलभ और मनमोहक है। देवी महागौरी को गायन-संगीत प्रिय है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार महागौरी की उपासना से इंसान को हर पाप से मुक्ति मिल जाती है। माँ महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती हैं।
मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका पूरा शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार कर देते हैं। इसके बाद शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब इनका स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, तब वह महागौरी कहलाईं।
इस तरह देवी का शरीर अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण का हो गया। माँ महागौरी अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं और अपने भक्तों की सारी समस्याएं दूर करती हैं। मां महागौरी को माता पार्वती का ही एक रूप कहा जाता है। महागौरी की कृपा से हर असंभव कार्य भी पूरा हो जाता है। यह धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं। सांसारिक रूप में इनका स्वरूप बहुत ही उज्जवल कोमल, श्वेतवर्ण और श्वेत वस्त्रधारी है।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां दुर्गा का आठवां स्वरूप माँ महागौरी अपने इस रूप में मां आठ वर्ष की हैं। यही वजह है कि नवरात्रि की अष्टमी को कन्या पूजन की परंपरा है। नवरात्रि के आठवें दिन की पूजा का एक विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। जो लोग पूरे 9 दिन व्रत नहीं रख पाते, वे सभी प्रतिपदा और अष्टमी तिथि को व्रत रखते हैं।
माना जाता है कि जो भक्त अष्टमी या नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करते हैं और मां दुर्गा को हलवा व चना के प्रसाद का भोग लगाते हैं तो माँ उनके सारे दुःख दूर कर देती हैं। इसके अलावा कन्याओं को रोली-तिलक और कलावा बांधकर सबको हलवा, पूरी और चने का प्रसाद खिलाएं।
इस दिन कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैरों को धोकर उनकी पूजा की जाती है। महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि हमारी भारतीय संस्कृति में छोटी कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर इनकी पूजा की जाती है और दक्षिणा और उपहार देकर आशीर्वाद लिया जाता है। ऐसा करने से कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
सुख शांति और समृद्धि की कामनाओं के साथ आपको “पारस परिवार” की ओर से नवरात्रि के महान पर्व की हार्दिक मंगल कामनायें…
मां महागौरी आपको सुख, समृद्धि, वैभव और ख्याति प्रदान करें…जय माता दी...
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"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."