राजस्थान अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है। यह शहर देश विदेश के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। यह धार्मिक स्थलों के लिए भी लोगों के बीच प्रसिद्ध है। यहाँ कई मंदिर ऐसे हैं जो कि अद्भुत रहस्यों के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों में हर कोई दर्शन के लिए जाना चाहता है।
ऐसे ही एक मंदिर है बीकानेर में करणी माता का मंदिर जो कि भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर करणी माता को समर्पित है और पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है। ऐसा माना जाता है कि करणी माता लोगों की रक्षा करने वाली देवी दुर्गा का अवतार हैं। आइये इस नवरात्रि के अवसर पर करणी माता मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
करणी माता मंदिर का निर्माण
ऐसा माना जाता है कि करणी माता 151 साल तक जिंदा रही और उनके ज्योतिर्लिन होने के बाद उनके भक्तों द्वारा उनकी मूर्ति की स्थापना कर उनकी पूजा शुरू कर दी गयी जो तब से लेकर आज तक चली आ रही है। यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। इस मंदिर का मुख्य दरवाजा चांदी का है और वहीं करणी माता के लिए सोने का छत्र बना हुआ है। करणी माता मंदिर के निर्माण की बात करें तो इस मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा किया गया था। बीकानेर की करणी माता की मूर्ति मंदिर के अंदर गर्भगृह के भीतर विराजित है। जिसमें माता एक हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए हैं। देवी की मूर्ति के साथ उनकी बहनों की मूर्ति भी है।
यह मंदिर संगमरमर से बना है और इसकी वास्तुकला मुगल शैली से मेल खाती है। वर्तमान में जहां आज यह मंदिर बना हुआ है वहां पर एक गुफा में करणी माता अपनी देवी की पूजा किया करती थी और यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में बनी हुई है। करणी माता का यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। इस मंदिर का मुख्य दरवाजा चांदी का है और वहीं करणी माता के लिए सोने का छत्र बना हुआ है। चांदी की बड़ी परतों में यहां चूहों को भोग लगाया जाता है।
कौन थी करणी माता ?
यह मंदिर करणी माता को समर्पित है। राजस्थान के ऐतिहासिक नगर बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित है करणी माता का मंदिर जिसे चूहों वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि करणी माता को लोगों की रक्षा करने वाली देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। करणी माता का जन्म एक चारण परिवार में हुआ था। करणी माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थी। उनका बचपन का नाम रिघुबाई था। अपनी शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊबने लगा। इसके बाद उन्होंने खुद को माता की भक्ति में पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया।
समाज सेवा, जनकल्याण, अद्भुत कार्यों और अलौकिक शक्तियों के कारण रिघु बाई को करणी माता के नाम से वहाँ के लोग पूजने लगे। उन्होंने सदा से एक तपस्वी का जीवन जिया। यहाँ के लोगों के बीच वह अत्यंत पूजनीय हैं। वैसे तो करणी माता को समर्पित कई मंदिर हैं लेकिन बीकानेर के देशनोक शहर में स्थित इस मंदिर की मान्यता लोगों के बीच सबसे अधिक है। मंदिर में आने वाले भक्त देवी और चूहों को प्रसाद भी चढ़ाते हैं। इसके अलावा, बीकानेर में करणी माता मंदिर में नवरात्रि में लगने वाला मेला बड़ा मशहूर है। इस मेले में हजारों लोगों की भीड़ होती है।
इस मंदिर के पीछे क्या रहस्य छुपा है, क्यों है यह इतना लोकप्रिय ?
यह मंदिर देखने में भी अत्यंत सुंदर है। आप इस मंदिर की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। यह मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है इसलिए सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग यहाँ दर्शन के लिए पहुँचते हैं। इस मंदिर में 30000 से ज्यादा चूहे होते हैं, जो यहां घूमते रहते हैं। यहाँ का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यहाँ भक्तों को चूहों का झूठा प्रसाद मिलता है। यही इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य है और यहाँ की प्रथा भी। इन चूहों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ सुबह होने वाली मंगला आरती और शाम की आरती के समय चूहे अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं।
इस मंदिर में आने वाले भक्त देवी माँ और चूहों को भी प्रसाद चढ़ाते हैं। इस मंदिर की जो सबसे मुख्य बात है वो यह है कि यहाँ के प्रसाद को खाने के बाद अभी तक कोई भी बीमार नहीं हुआ है। वैसे तो इस मंदिर में आपको कालें रंग के चूहे नजर आएगे, लेकिन ऐसी मान्यता है कि जिस भी भक्त को सफेद रंग के चूहे नजर आते हैं, यह उसके लिए अत्यंत भाग्य की बात मानी जाती है और उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। यानि माता का यह एक ऐसा मंदिर है जहां पर सैकड़ों चूहें रहते हैं और इनके रहने से कोई बदबू नहीं फैलती है और न ही कोई बीमारी। यहां पर रहने वाले चूहों को काबा कहा जाता है।
करणी माता की प्रचलित कहानी
करणी माता मंदिर से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी यह है कि करणी माता के एक सौतेले पुत्र थे जिनका नाम लक्ष्मण था। एक दिन सरोवर से पानी पीते समय लक्ष्मण उसमें डूब जाते हैं। इसके बाद करणी माता परेशान होकर यम देवता से हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हैं। वह उनकी विनती के आगे झुक जाते हैं और न सिर्फ लक्ष्मण बल्कि करणी माता के सभी पुत्रों को चूहों के रूप में जीवित कर देते हैं। इस मंदिर में जाने पर आपकी हर मुराद पूरी हो जाती है। जहाँ माता के द्वार पर सैकड़ों चूहे उनकी रक्षा करते हैं। यहाँ मां को जो प्रसाद चढाया जाता है उसे पहले चूहे खाते हैं। उसके बाद उसे भक्तों में बांटा जाता है।
यहाँ जो पुजारी हैं उनका मानना है कि यहां चूहों की संख्या 30000 के पार है और यह बात वास्तव में आश्चर्यचकित करने वाली है।
यहाँ चूहों को मारना नहीं माना जाता है शुभ
इस मंदिर में चूहों को मारने से या चूहों को किसी भी तरह की हानि पहुँचाने से पाप लगता है। यहाँ लोग चूहों के लिए खाना भी लेकर आते हैं। जैसे दूध, मिठाई आदि कई तरह की चीज़ें लाते हैं। सभी चूहों में से, सफेद चूहों को यहाँ पवित्र माना जाता है दरअसल उन्हें करणी माता और उनके पुत्रों के अवतार के रूप में देखा जाता है। यदि आप चूहे को गलती से मार देते हैं तो इसका पश्चाताप करने के लिए मरे हुए चूहे की जगह सोने के चूहे से बदलना होता है। यही वजह है कि जब लोग यहाँ जाते हैं तो पैर उठाकर नहीं चलते हैं। इसके बजाय पैरों को घसीटकर चलते हैं जिससे कोई चूहा गलती से पैरों के नीचे आकर मर न जाये जाए। क्योंकि यदि ऐसा होता है तो इसे शुभ संकेत नहीं माना जाता है।
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"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."