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पारस परिवार के साथ इस दिवाली अपने दिल को सच्ची भावनाओं से रोशन करें

Blog, 30/10/2024

पूरा विश्व इस देश की विविधता के प्रति कृतज्ञ और गौरवान्वित महसूस करता है, तथा इस रमणीय तरीके की सराहना करता है। पारस परिवार सदैव भारत की विविधता की सुंदरता के साथ-साथ सनातन धर्म से जुड़े सभी त्योहारों की भव्यता की सराहना करता है।

हिंदुओं के पावन त्योहार दिवाली के पावन अवसर पर भारतीय लोग कई दिन पहले से ही अपने घरों की भव्यता और सजावट की तैयारियां शुरू कर देते हैं। इस त्योहार को लेकर सभी सनातनियों में एक अलग ही उत्साह होता है। दिवाली का यह त्योहार बहुत ही प्राचीन और सबसे बड़ा त्योहार है। जिस तरह अयोध्यावासियों ने अपनी विपन्न परिस्थितियों में भी घी के दीये जलाकर भगवान राम का स्वागत किया, उससे अयोध्यावासियों की भगवान राम के प्रति भक्ति और प्रेम को समझा जा सकता है। इस समय पूरे भारत के लोग अयोध्यावासियों की तरह अपने घरों की छतों और आंगनों पर दीये और मोमबत्तियां जलाकर अमावस्या के काले अंधकार को समाप्त करते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार उस दिन पूरे शहर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। 

 

दिवाली की तैयारियों को लेकर भारतीयों में उत्साह:

लोग अपने घरों और दफ्तरों की तैयारी करीब 10 दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि जो घर साफ-सुथरा होता है, उस पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है। यह त्यौहार धर्म को नहीं देखता। हर धर्म के लोग इस त्यौहार के उत्साह में शामिल होते हैं, चाहे वे हिंदू हों या किसी और धर्म से। इस त्यौहार की शक्ति हर व्यक्ति को आकर्षित कर सकती है। आम दिनों में अमावस्या की रात बेहद अंधेरी मानी जाती है, लेकिन प्रेम और उत्साह की लौ दिवाली की अमावस्या की रात को उजाले से भर देती है। लाखों की संख्या में जलाए गए दीये अंधकार रूपी इस बुराई पर विजय प्राप्त करते हैं और पूरा भारत एकता की लौ में जगमगा उठता है। पारस परिवार भी सभी भारतीयों और इस त्यौहार के अनुयायियों को इस आस्था और भावनात्मक त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएं देता है।

दिवाली को इसके नाम से ही बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। दिवाली का शाब्दिक अर्थ है "दीपों की पंक्ति", हिंदू धर्म के सभी अनुयायी इस दिन अपने घरों और छतों पर पंक्तियों में दीप जलाते हैं। दिवाली के इस दिव्य और प्रकाशमय अवसर की रौनक पूरे देश में देखने को मिलती है। इस दिन हर कोई अपने परिवार के साथ खुशियां मनाता है और रामलला का भी उत्साह के साथ स्वागत करता है। अगर हम प्रचलित मान्यताओं को याद करें तो जब श्री राम लंका के राजा रावण का वध करके और अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। आज के समय में पूरा देश अयोध्यावासियों की तरह ही श्री राम का स्वागत करता है। हर साल दिवाली पर यही उत्साह रहता है। इस संदेश के साथ कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है, भले ही उस बुराई का प्रतिनिधित्व रावण जैसा शक्तिशाली राजा ही क्यों न कर रहा हो। दिवाली की परंपराओं और मान्यताओं का सम्मान और उत्सव दुनिया भर में किया जाता है।


खुशियों के इस त्योहार का मतलब सिर्फ अपने घरों को सजाने के लिए रोशनी करना ही नहीं है, असल मायनों में इस त्योहार का सही मतलब अपने भीतर के अंधकार को दूर करके अपने समाज में आदर्श संदेश प्रस्तुत करना है। पारस भाई जी के साथ-साथ हिंदू धर्म भी मानता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा करने से घरों में धन-धान्य और समृद्धि की पूर्ति होती है देवी लक्ष्मी आप और आपके परिवार पर सुख, समृद्धि और धन की वर्षा करें।


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