दरअसल नभमंडल में स्थित ग्रह नक्षत्रों की गणना एवं निरूपण मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसके द्वारा किसी व्यक्ति के भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पता किया जा सकता है। साथ ही यह भी मालूम हो जाता है कि आने वाले भविष्य में व्यक्ति के जीवन में कौन-कौन से घातक अवरोध उसकी राह रोकने वाले हैं। यानि जातक को किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और ऐसे समय में उस दुर्योग से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र ही एकमात्र रास्ता होता है जिसके द्वारा जातक को सही दिशा का ज्ञान देकर सही राह दिखाई जा सकती है।
ज्योतिष विज्ञान या ज्योतिष शास्त्र का सारा ज्ञान, विज्ञान गणित पर आधारित है। भारत के प्राचीन विद्वानों ने सनातन काल से इस विद्या को ज्ञान-विज्ञान, धर्म व अध्यात्म आदि विषयों में सर्वोत्कृष्ट स्थान देते हुए इसके महत्व को विशेष रूप से बताया है। सूर्यादि ग्रह और काल का बोध कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र को सीखने से पहले इस शास्त्र को समझना आवश्यक है। ज्योतिष वह विद्या या शास्त्र है, जिसके द्वारा आकाश स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्यादि का निश्चय किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से ग्रह, नक्षत्र आदि के स्वरूप, संचार, परिभ्रमण काल, ग्रहण और स्थिति संबधित घटनाओं का निरूपण एवं फलों का कथन किया जाता है। ज्योतिष इस विश्वास पर आधारित है कि आकाश में ग्रहों और सितारों की स्थिति मानव जीवन को प्रभावित करती है।
किसी भी अन्य पेशे की तरह, कार्य की सटीकता इसे करने वाले व्यक्ति पर निर्भर करती है। भविष्यवाणियां गोचर ग्रहों की गणितीय गणनाओं पर आधारित होती हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि आज के इस आधुनिक युग में जब विज्ञान ने चन्द्रमा और अन्य ग्रहों के विषय में इतनी गहराई से जान लिया है, तब भी ज्योतिष की अपनी अलग पहचान कायम है।
महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है। यह सिर्फ भविष्य बताने की विद्या नहीं है, बल्कि भविष्य बदलने की विद्या भी है। इसे सीखना आसान नहीं है। ज्योतिष के मर्मज्ञ एवं आध्यात्मिक ज्ञान के विशेषज्ञ दोनों ही एक स्वर से इस सच्चाई को स्वीकारते हैं कि मनुष्य के जीवन में परिवर्तन उसके कर्मो, विचारों, भावों के अनुसार होता है।
यही कारण है कि मनुष्य के जन्म के क्षण का विशेष महत्व है यह वही समय है जो व्यक्ति को जीवन भर प्रभावित करता है। क्योंकि हमारी सनातन संस्कृति का आधार वेद है, जो पूर्ण विज्ञान है इसलिए ज्योतिष पूर्ण विज्ञान है। ज्योतिष विज्ञान भारत की ऐसी प्राचीन विद्या है जो यह प्रमाणित करती है कि हमारे सौरमंडल में सूर्य के साथ-साथ सभी 9 ग्रहों का प्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन पर प्रभाव पड़ता है। भारतीय सभ्यता में लगभग 4000 वर्ष से भी अधिक पुराना यह ज्योतिष विज्ञान आज के समय में बहुत से लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि इनके उपायों को सही तरीके और पूरी विधि के साथ किया जाये तो इच्छित वस्तु की प्राप्ति अवश्य होती है। मानसिक, शारीरिक या आर्थिक समस्या से हर व्यक्ति आज किसी न किसी परेशानी में फंसा हुआ है। ज्योतिष शास्त्र उनको इन परेशानियों से उबारने में मदद करता है।
महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि भारतीय ज्योतिष सबसे अनोखा और सबसे अद्भुत है। ज्योतिष विज्ञान को यदि तरीके से समझ या जान लिया जाए तो मनुष्य अपनी क्षमताओं को पहचान कर अपने स्वधर्म की खोज कर सकता है। यदि वह ऐसा करता है तो वह कालचक्र में अपनी स्थिति को प्रभावित करने वाले ऊर्जा प्रवाहों के क्रम को पहचान सकता है।
इसके उपरांत वह अचूक उपायों को अपना सकता है। इस कालक्रम का ज्ञान किसी को एक योग्य ज्योतिषी ही करा सकता है। मुख्य रूप से ज्योतिषीय भविष्यवाणी के लिए ग्रहों की स्थिति और दशाओं का विशेष अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष में ग्रहों का स्थान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और ग्रहों को वैदिक का आधार माना जाता है। दरअसल ग्रह वे खगोलीय पिंड होते हैं, जो पृथ्वी के साथ-साथ अंतरिक्ष में भी गतिमान हैं और ज्योतिष के आधार पर यह माना जाता है कि ये सभी खगोलीय पिंड इस सृष्टि और इस सृष्टि पर रहने वाले सभी जीवों पर अपना प्रभाव डालते हैं।
ज्योतिष के ज्ञान का यही विशेष महत्व है और इस ज्ञान की महत्वपूर्ण कड़ी एक योग्य ज्योतिषी ही हो सकता है। जो महादशाओं, अंतर्दशाओं एवं प्रत्यंतरदशाओं में ग्रहों के मंत्र, दान की विधियों, सही उपायों को बताकर इनके दुष्प्रभावों से आपको बचा सकता है और सुखी जीवन के लिए और जीवन में आगे बढ़ने का सही मार्ग दिखा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार कुल नौ ग्रह होते हैं, जिन्हें नवग्रह कहा जाता है और हर ग्रह हमारे जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से अपना प्रभाव डालते हैं। वैदिक परंपरा में किसी भी व्यक्ति का नाम उसकी राशि के अनुसार ही रखा जाता है और राशि के बारे में जानकारी उस व्यक्ति की जन्म कुंडली से पता चलती है। फिर उसकी जन्म कुंडली से ग्रह तथा नक्षत्र की स्थिति का पता किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुल नौ ग्रह– सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु हैं।
हर ग्रह का अपना स्वभाव और अपनी प्रकृति होती है। कुल मिलाकर जो आपको प्रभावित करता है उसे ग्रह कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान जहां समाप्त होता है, ज्योतिष विद्या की वहीं से शुरुआत होती है। यह वेद सम्मत विज्ञान है। ज्योतिष हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है – यह हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताता है। ज्योतिष का उपयोग भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है और ग्रहों की स्थिति से संबंधित किसी भी प्रकार की दुर्घटना से छुटकारा पाने के लिए एक माध्यम के रूप में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र भी है और विद्या भी है। सिर्फ ज्योतिष की बड़ी बड़ी किताबों का अध्ययन करने से कोई बड़ा ज्योतिषी बन जायेगा ऐसा कई लोग समझते हैं। लेकिन यह बात गलत है। किसी विशिष्ट साधना से जिसकी शक्ति जागृत होती है, वो ही सही मायने में अच्छा ज्योतिषी है। महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि साधना के लिये अपने आप को पूरा समर्पित करना पड़ता है।
तब जा कर कोई साधना होती है और ज्ञान प्राप्त होता है। भूत और भविष्य की जानकारी के लिए जो विज्ञान वैदिक रीति से बनाया गया वह ज्योतिष शास्त्र है। यदि अज्ञान और लोभ को छोड़ दिया जाए तो ज्योतिष बेहतरीन विज्ञान है। ज्योतिष शास्त्र आपको शुभ अशुभ का ज्ञान कराकर रास्ता दिखाता है। ज्योतिष विद्या लोगों को अंधविश्वास की ओर नहीं ले जाती है, बल्कि यह लोगों को जागरूक करती है।
ज्योतिषशास्त्र की मान्यता है कि तारों और ग्रहों की स्थिति हर व्यक्ति की मनोदशा, व्यक्तित्व और वातावरण को प्रभावित करती है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र जिसे पूरे विश्व में माना जाता है। इसमें अलग-अलग तरीके से भाग्य या भविष्य के बारे में बताया जाता है। भविष्य बताने का एक लंबा इतिहास रहा है और यह ऐसी जादुई कला है जिसमें महारत हासिल करना सबसे ज़्यादा मुश्किल है।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र को हिन्दू धर्म के अनुसार वेद का एक अंग बताया गया है। ज्योतिष एक बेहद पुरानी विद्या है, जिसमें मनुष्य के भाग्य का अध्ययन ग्रहों एवं नक्षत्रों की चाल और प्रभाव से किया जाता है। पुराने समय में ग्रह, नक्षत्र और खगोलीय पिण्डों का अध्ययन करने के विषय को ही ज्योतिष कहते थे।
ज्योतिष शास्त्र अत्यन्त शुद्ध, सिद्ध गणित और विज्ञान की एक शाखा है। ज्योतिष शास्त्र का उपयोग पूर्वानुमान और भविष्यवाणी के लिए किया जाता है। ज्योतिष में ग्रहों की चाल, नक्षत्रों की स्थिति, राशियों के प्रभाव आदि का अध्ययन किया जाता है जिससे व्यक्ति के भविष्य में कैसी स्थिति आने की संभावना है और उनसे किस्मत कैसे प्रभावित हो सकती है। साथ ही आपके जीवन में किस-किस प्रकार की घटनाएँ हो सकती हैं, इसके बारे में जानकारी मिलती है।
जातक की किस्मत में आगे क्या होने वाला है, इसका पूरा ज्ञान आपको मिलता है। यही ज्योतिष विद्या है, जो आपको आपके जीवन में आगे आने वाली घटनाओं के प्रति सचेत करती है। इस तरह अशुभ समय में यह ज्योतिष विद्या आपको सावधान रखेगी और शुभ समय में दुगनी मेहनत करके लाभ अर्जित करने की राह दिखाएगी।
वेदों का नेत्र ज्योतिष शास्त्र है, जिस प्रकार नेत्र से आप रोशनी की वजह से रास्ते में क्या है देख सकते हैं, अगर कहीं कोई अवरोध है तो बच कर निकला जा सकता है। उसी तरह ज्योतिष भी है। ज्योतिष का मूल आधार यह है कि स्वर्गीय पिंड – सूर्य, चंद्रमा, ग्रह और नक्षत्र सांसारिक घटनाओं पर प्रभाव डालते हैं या उनसे संबंधित होते हैं।
ज्योतिष प्राचीनकाल में खगोल विज्ञान, वास्तु विज्ञान और ग्रह-नक्षत्रों की गणना से जुड़ा था। नक्षत्र के आधार पर धरती का मौसम और मानव पर उसके प्रभाव की गणना की जाती थी। वेद के 6 अंग हैं जिसमें छठा अंग ज्योतिष है। वेद अनुसार ज्योतिष खगोल विज्ञान है। ऋग्वेद में ज्योतिष से संबंधित लगभग 30 श्लोक हैं, यजुर्वेद में 44 तथा अथर्ववेद में 162 श्लोक हैं।
"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."