हिंदू धर्म में माँ के भक्तों के लिए नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होंगे और इसका समापन 17 अप्रैल को महानवमी के साथ होगा। इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि को मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है। इस दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने से और मां शैलपुत्री की श्रद्धा भाव के साथ पूजा अर्चना करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है। आइये जानते हैं नौ दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि के पावन पर्व में माँ दुर्गा जी के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा का क्या है महत्व ?
मां शैलपुत्री जी के वाहन की बात करें तो इनका वाहन वृषभ है। उन्हें नंदी बैल पर सवार दिखाया जाता है। इन्हें सती के नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री अपने दाएं हाथ में त्रिशूल, माथे पर एक अर्धचंद्र और बाएं हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं। चंद्रमा उनके मस्तक की शोभा बढ़ाता है। देवी शैलपुत्री का पसंदीदा रंग सफेद है, जो पवित्रता और मासूमियत को दर्शाता है। मां शैलपुत्री नवदुर्गा का प्रथम स्वरूप है इसलिए नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा-आराधना की जाती है। मां को लाल और सफेद रंग की चीजें अत्यधिक प्रिय हैं। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार इनकी पूजा से जीवन के सभी दुःख, रोग, कष्ट, पीड़ा, दरिद्रता, परेशानी आदि सभी दूर होते हैं। देवी का यह स्वरूप इच्छाशक्ति और आत्मबल को दर्शाता है। मां दुर्गा का यह स्वरूप बताता है कि मनुष्य की सकारात्मक इच्छाशक्ति ही भगवती की शक्ति है। इनकी पूजा करने से चंद्रमा से संबंधित सभी दोष दूर होते हैं।
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के उपरांत स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा तथा कलश की स्थापना करें। मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। मां शैलपुत्री जी की आरती और कथा का श्रवण करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद फूल ही चढ़ाएं। माँ को अक्षत्, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, नैवेद्य आदि अर्पित करें। मनोकामना पूर्ति के लिए मां शैलपुत्री को कनेर पुष्प चढ़ाएं और उनको गाय के घी का भोग लगाएं। पूजा के दौरान मां शैलपुत्री के मंत्रों का उच्चारण करें। भोग की बात करें तो माँ के भोग के लिए भी सफेद मिठाई का ही भोग लगायें। नवरात्रि में भक्त पूजा, आराधना, व्रत और जागरण कर माता का आशीष प्राप्त करते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि माता शैलपुत्री की पूजा विधि-विधान से करने पर आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है और माँ आपके ऊपर अपनी कृपा बरसाती है।
मान्यताओं के अनुसार दक्ष प्रजापति ने एक बार यज्ञ किया था और तब यज्ञ में सभी देवताओं को बुलावा भेजा लेकिन भगवान शिवजी को उन्होंने नहीं बुलाया। इसके बाद जब सती को यज्ञ के बारे में पता चला तो वह भी यज्ञ में जाने की तैयारी करने लगी। जब भगवान शिव को पता चला तो उन्होंने सती से कहा कि बिना निमंत्रण के वहाँ जाना हमारे लिए उचित नहीं है लेकिन सती तो यज्ञ में जाने के लिए अत्यंत उत्सुक थी। सती ने भगवान शंकर से जाने के लिए विनती की तो भगवान ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी।
इसके बाद सती जब अपने घर पहुंची तो सिर्फ उनकी मां ने ही उन्हें प्रेम किया बाकी अन्य सब लोगों की बातों से उन्हें लगा कि वे सब उन पर व्यंग्य कर रहे हैं। यहाँ तक कि दक्ष ने भी भगवान शंकर के लिए कई अपशब्द वचन कहे। जिससे सती को काफी क्रोध आया और वह क्रोधित हो गई। कहा जाता है कि तब सती अपने पति शिव का अपमान सहन नहीं कर पाई जिस वजह से सती अग्नि में जलकर भस्म हो गई। तब इसी सती का अगला जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री के रूप में हुआ था। कठिन तपस्या के बाद शैलपुत्री का विवाह शिवजी से हुआ। इन्हीं के अन्य नाम पार्वती, मां नंदा आदि हैं।
''या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः''
ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैल पुत्री नमः
प्रार्थना- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां शैलपुत्री की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की कामना पूरी होती है। इसके साथ ही धन, धान्य और यश प्राप्त होता है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि देवी के इस रूप से जीवन में पर्वत के समान धन समृद्धि आती है। मां शैलपुत्री मोक्ष भी प्रदान करती हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए मां शैलपुत्री को कनेर पुष्प चढ़ाएं और उनको गाय के घी का भी भोग लगाएं। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा का दोष है या चंद्रमा कमजोर है तो आप मां शैलपुत्री की पूजा करें, आपको अवश्य लाभ होगा। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के विशेष अवसर पर मां शैलपुत्री की उपासना और व्रत करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा, धन, रोजगार और निरोगी स्वास्थ्य पाने के लिए की जाती है। नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत जलाने से व्यक्ति की हर इच्छा पूरी होती है। इस दिन पूजा के बाद माता के चरणों में गाय के घी का भोग लगाने से निरोगी काया का आशीर्वाद मिलता है। यदि कोई व्यक्ति ध्यान से उनकी प्रार्थना करता है, तो उसके जीवन में अच्छे बदलाव होते हैं। नवरात्र के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। इस समय मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लोग भजन-कीर्तन करते हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
माँ शैलपुत्री जी की जय… मां शैलपुत्री जी की जय…
पारस परिवार की ओर से आप सभी को चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की ढेर सारी शुभकामनायें !!!
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"Mata Rani's grace is like a gentle breeze, touching every heart that seeks refuge in her love."