Back to privious Page


सनातन धर्म में पीपल के वृक्ष की पूजा क्यों की जाती है ?

Blog, 31/01/2024

महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार पीपल के दर्शन और पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास होता है और साथ ही पीपल में पितरों और तीर्थों का निवास होता है। इसके अलावा पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी वास माना गया है। इसलिए पीपल की पूजा करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। आइये जानते हैं आखिर क्यों हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और पीपल के वृक्ष को पूजना क्यों शुभ और लाभकारी माना जाता है ?

पीपल के पेड़ का महत्व

महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि स्कंद पुराण में इस श्लोक के द्वारा पीपल के पेड़ की महत्ता के बारे में बताया गया है-

मूले विष्णु: स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च।नारायणस्तु शारवासु पत्रेषु भगवान् हरि:।।फलेऽच्युतो न सन्देह: सर्वदेवै: समन्व स एवं ष्णिुद्र्रुम एव मूर्तो महात्मभि: सेवितपुण्यमूल:यस्याश्रय: पापसहस्त्रहन्ता भवेन्नृणां कामदुघो गुणाढ्य:।।

अर्थात पीपल के पेड़ की जड़ में विष्णु जी, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवता निवास करते हैं। पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है। महात्मा इस वृक्ष की सेवा करते हैं और यह वृक्ष मनुष्यों के पापों को नष्ट करने वाला है। इसके साथ ही पीपल में पितरों और तीर्थों का निवास होता है।

पीपल का पेड़ प्राकृतिक और आध्यात्मिक रूप से इतना महत्वपूर्ण है कि भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं कि, “वृक्षों में मैं पीपल हूं”  इसके अलावा वैज्ञानिक रूप से पीपल इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बहुत ऑक्सीजन पैदा करता है। गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति पीपल के वृक्ष के नीचे ही हुई थी।

महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि जो पीपल को पानी देता है, वह सभी पापों से छूटकर स्वर्ग प्राप्त करता है। 

पीपल वृक्ष के मुख्य लाभ

इसकी पूजा से अपने पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है। यदि आप पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो रोजाना पीपल की जड़ में जल अर्पित करना शुभ होता होता है। यदि आप प्रति दिन पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं तो ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

पीपल को शनि के ईष्ट श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। पीपल के वृक्ष की पूजा करने से शनि की पीड़ा शांत होती है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि पीपल के वृक्ष की उपासना किसी भी रूप में करने से शनि कृपा करते हैं। साथ ही शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक हर शनिवार को जलाएं। इसके बाद वृक्ष की परिक्रमा करें। पीपल में पितरों और तीर्थों का वास होता है। यह वृक्ष मनुष्यों के पापों को नष्ट करने वाला है। 

वैज्ञानिकों ने ये माना है कि पीपल का वृक्ष, दिन और रात, कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) लेते हैं और पर्यावरण में ऑक्सीजन (oxygen) छोड़ते रहते हैं। पीपल के वृक्ष का हर भाग कोई न कोई दवा के उत्पादन में प्रयोग होता है। इसलिए पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। पीपल का वृक्ष, हर मौसम में हरा भरा रहता है, इससे हर मौसम में सभी जीव उसकी छाया में आराम करते हैं।

पीपल की पूजा करने का वैज्ञानिक कारण ?

पीपल की पूजा इसलिए की जाती है जिससे लोग इस पेड़ को काटें नहीं और इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है। पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है। 

इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है और इस तरह तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है। साथ ही इससे मानसिक शांति भी मिलती है। पीपल का वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना मे अधिक आँक्सीजन छोड़ता है। पीपल के वृक्ष की लकड़ियों को जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। 

जहां तक ​​विज्ञान का संबंध है, तो ये दिन के समय ऑक्सीजन छोड़ते हैं और इसलिए दोपहर की झपकी के लिए यह

सबसे अच्छी जगह है। वैसे रात के समय एक पेड़ के नीचे सोने से बचना चाहिए क्योंकि वे कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। लेकिन पीपल का पेड़ इस प्रक्रिया से अलग है क्योंकि यह रात के दौरान भी ऑक्सीजन ही जारी करता है।

पूजा के माध्यम से हम प्रकृति का आभार व्यक्त करते हैं

हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ की या प्रकृति के सभी तत्वों की पूजा का प्रचलन और महत्व है। दरअसल हिंदू धर्म का मानना है कि प्रकृति से हमें बहुत कुछ प्राप्त होता है। इसलिए हम पूजा के माध्यम से उनका आभार व्यक्त करते हैं। क्योंकि प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है। प्रकृति से ही हमें ईश्वर के होने का आभास होता है।  पीपल के पेड़ को हिंदुओं में सबसे पवित्र पेड़ माना जाता है। इसे विश्व वृक्ष, चैतन्य वृक्ष या वासुदेव भी कहा जाता है।

इन पेड़ो को जरूर लगायें

शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में एक पीपल, एक नीमतीन बेल, तीन आंवला, दस इमली, पांच आम के पेड़ लगाता है, वह कभी नरक का भोगी नहीं बनता है, उसे सीधे स्वर्ग में स्थान मिलता है। उसकी आत्मा पुण्य को प्राप्त करती है।

पीपल की पूजा से दरिद्रता, दुःख और दुर्भाग्य का होता है नाश

वन की संपदाएं हिंदू धर्म के लिए पूजनीय हैं और इनमें पीपल का पेड़ बहुत ही पूजनीय माना गया है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि मंगल मुहूर्त में पीपल के पेड़ की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढ़ाने से दरिद्रता, दुःख और दुर्भाग्य का नाश होता है।

पीपल की पूजा से शनि की कई समस्याएं दूर होती हैं

महंत श्री पारस भाई जी पीपल की पूजा से अनेक लाभ बताते हैं। जैसे-यदि रोग और लम्बी बीमारी का योग है तो वह भी दूर हो जाता है। अल्पायु का योग है तो वह योग भी समाप्त होता है। इसके अलावा वंश वृद्धि की समस्या और संतान की समस्याओं का निवारण भी होता है। इसको लगाने और संरक्षण करने से शनि की दशाओं का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। पीपल का पेड़ देवताओं का स्वर्ग है। यह माना जाता है कि विष्णु लक्ष्मी के साथ शनिवार को इस पेड़ पर रहते हैं और इसी कारण से कहा जाता है कि शनिवार को इस पेड़ को पानी देना अच्छा होता है। ऐसा माना जाता है कि पीपल की पूजा करने से आयु भी लंबी होती है।


  Back to privious Page

About us

Personalized astrology guidance by Parasparivaar.org team is available in all important areas of life i.e. Business, Career, Education, Fianance, Love & Marriage, Health Matters.

Paras Parivaar

355, 3rd Floor, Aggarwal Millennium Tower-1, Netaji Subhas Place, Pitam Pura, New Delhi - 110034.

   011-42688888
  parasparivaarteam@gmail.com
  +91 8882580006